पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/६९

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४२. पत्र : पुण्डलीकको

अहमदाबाद,
[ अगस्त ३०, १९१८]

प्रिय श्री पुण्डलीक,


आपसे पूछा गया है कि आप किस हैसियतसे काम कर रहे हैं। यह पत्र आप इस बातके प्रमाणके रूपमें पेश कर सकते हैं कि भीतीहरवाका स्कूल चलाने और आसपास के गाँवोंकी जनताके बीच सफाई तथा शिक्षा सम्बन्धी कार्य करने या चम्पारनके अन्य जिस स्कूलमें भी आपको मैं रखूं उसे चलानेके लिए मैंने ही आपको चम्पारन भेजा है।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

जी० एन० ५२१५ की फोटो नकलसे।

४३. पत्र : मिली ग्राहम पोलकको[१]

अगस्त ३१, १९१८

इस समय मेरे सामने महिमामयी वर्षा झड़ी बाँधकर बरस रही है। इससे करोड़ों स्त्री-पुरुषोंके हृदय आनन्दित हो उठेंगे। पश्चिमी हिन्दुस्तानपर भारी अकालका खतरा मँडरा रहा था। पलक झपकते ही वह सारा भय जाता रहा और उसके स्थानपर असीम आनन्द छा गया। यह वर्षा करोड़ों मवेशियोंके लिए तो जीवनदायिनी ही समझो। हिन्दुस्तान के सिवा शायद ही दूसरा कोई देश पृथ्वीपर होगा जो वर्षापर इतना अधिक निर्भर रहता हो। इससे तुम समझ सकोगी कि मुझे आरोग्यदान करनेमें इस वर्षाका कितना हाथ रहा होगा। मैंने बहुत कष्ट भोगा; और सब अपनी मूर्खताके कारण। मैंने शरीरपर जो ज्यादती की थी, यह सजा उसके योग्य ही थी। एक सदोष प्रयोगके कारण मुझे पेचिश हो गई थी। जब उससे में अच्छा होने जा रहा था, तभी मैंने खाना शुरू कर दिया। मुझे जल्दी मामूली खुराक लेनी शुरू नहीं करनी चाहिए थी। इसी गलतीके अवश्यम्भावी परिणामस्वरूप यह परेशानी सिरपर आई। मेरा शरीर बहुत ही अधिक क्षीण हो गया है। मुझे [ बड़ी सावधानीसे ] खोया हुआ स्वास्थ्य वापस पाना होगा परन्तु कोई चिन्ताकी बात नहीं। मैं आजकल बीमारीसे

  1. १. मिली ग्राहम पोलक, एच० एस० एल० पोलककी पत्नी; महात्मा गांधी : द मैन (१९३०) की लेखिका।