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भाषण : बम्बई में स्वदेशीपर

अनेक व्यक्तियोंने लोकसेवा करके प्रभुको पहचाना है। हम सेठ दाऊद मुहम्मदके परिवार तथा दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंके प्रति समवेदना प्रकट करते हैं।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, ७-९-१९१९

७२. भाषण : बम्बई में स्वदेशीपर[१]

सितम्बर ७, १९१९

कुछ लोगों का कहना है कि स्वदेशीकी ध्वनि समस्त हिन्दुस्तानमें गूंज रही है लेकिन मैं यह नहीं मानता। अनेक स्थानोंसे इस आशय के पत्र आते हैं कि यदि आप यहाँ आकर भण्डार खोलें तो हम स्वदेशी वस्त्र पहनना सीखेंगे। लेकिन यह होता नहीं है। हाँ, अगर लोग पहलेसे ही दृढ़ निश्चय कर लें तो यह हो सकता है। एक सज्जनने कहा है कि हमें इंग्लैंड अथवा जापानकी अपेक्षा अधिक अच्छा माल तैयार करके सस्ते भावपर बेचना चाहिए। यह असम्भव है। यदि हम स्वदेशी व्रतके आन्दोलनको चलाना चाहते हैं तो हमें आन्दोलन-कालमें हर प्रकारके संकटको झेलनेके लिए तैयार रहना चाहिए। में जो वस्त्र पहनता हूँ उनकी बराबरी इस संसारमें कोई नहीं कर सकता। हमें जापानके बने सुन्दर वस्त्र पहनने चाहिए – ऐसा 'भगवद्गीता' में कहीं नहीं लिखा है। प्रत्येक शास्त्रमें यही लिखा है, आपका जो धर्म है उसीसे आपका उद्धार होगा। इसलिए हमारे देशके कारीगर अपने घरोंमें भजन गाते हुए जो कपड़ा बनाते हैं, उस वस्त्रको पहनना हमारा धर्म है। हमारी माँ हमें जो रूखी-सूखी रोटी दे उसे खाकर ही हमें उसका आभार मानना है। यह हमारा पहला कर्त्तव्य है। हमारे पास पर्याप्त वस्त्र नहीं हैं, यह बात तो निश्चित ही है। हमें इस तरह काम करना चाहिए जिससे हम घर-घर चरखेकी कक्षाएँ खोल सकें; इससे हम प्रत्येक घरमें मिलकी स्थापना कर सकेंगे। इसके लिए हमें धन लगाने अथवा किसी अन्य प्रकारका खर्च करनेकी आवश्यकता नहीं होगी। यदि आप सब भारतकी समृद्धि चाहते हैं तो उसे प्राप्त करनेका यह उत्तम मार्ग है। मैं ऐसी कल्पना नहीं करता कि कोई भी व्यक्ति एकदम सुन्दर वस्त्रोंको त्यागकर खादी पहन सकता है। लेकिन यदि हमारे युवक इस कार्यको हाथमें ले लें तो हम धीरे-धीरे अपनी स्थिति में सुधार कर सकेंगे। हमें कोई भी कार्य करनेसे पूर्व उसपर विचार अवश्य करना चाहिए। मेरे मनमें जो विचार आये हैं उन्हें आपके समक्ष रख रहा हूँ और मुझे उम्मीद है कि आप सब इन्हें अपनायेंगे। किन्तु सरकारने मेरे पंख काट दिये हैं और मुझे बम्बई प्रदेशमें[२] ही बाँध लिया है। यदि केवल इस प्रदेशके स्त्री-पुरुष ही इस कार्यको हाथमें ले लें तो

  1. गुजरात स्वदेशी-भण्डारके उद्घाटनके समय।
  2. सरकारने ९ अप्रैलको गांधीजीको इस आशयका अदेश दिया था कि वे पंजाबकी सीमामें प्रवेश न करें। देखिए खण्ड १५, पृष्ठ २१४-१६