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तार : वाइसरायके निजी सचिवको


मैं एक बुनकरके रूपमें कहता हूँ कि प्रतिदिन आठ घंटे हाथकी खड्डीपर काम करते हुए व्यक्ति निःसन्देह एक रुपया कमा सकता है। रो-धोकर मैट्रिककी परीक्षा पास कर लेनेके बावजूद क्या एक रुपया मिलता है? तीस रुपये मासिक वेतनपर जी-तोड़ काम करनेवाले स्नातकोंको मैंने देखा है। परीक्षामें इस तरह शरीर गला देनेके बाद भी उन्हें इस तरहका दयनीय जीवन बिताना पड़ता है। इसकी अपेक्षा यह स्थिति निःसन्देह अच्छी है।

यदि भारतकी असंख्य स्त्रियाँ और लाखों विधवाएँ अपने खाली समय में यह कार्य करना चाहें और यदि उनके मनमें राम और कृष्णका वास हो तो सूत कातना तनिक भी कठिन कार्य नहीं है। मैं भारतवासियोंसे प्रार्थना करता हूँ कि वे इस धर्मका पालन करें।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, २६-१०-१९१९

१४२. तार : वाइसरायके निजी सचिवको

अमरेली
अक्तूबर १०, १९१९

वाइसराय के निजी सचिव

अली भाइयोंकी माँ गम्भीर रूप से अस्वस्थ। मुझे विश्वास है कि दोनों - भाइयों की माँ के दर्शनोंकी आज्ञा मिल जायेगी। मुझे मालूम हुआ है कि उन्होंने वाइसराय महोदय से उस सम्बन्धमें प्रार्थना की है।[१]

[अंग्रेजीसे]

नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया : होम : पोलिटिकल : जनवरी १९२० : सं० ४९३- ५०२ बी० तथा (एस० एन० १९८२६) की फोटो-नकलसे।

  1. चूँकि अली भाइयोंने, जो रामपुर कारागारमें थे, जमानतपर रिहाईकी स्वयं कोई अर्जी नहीं दी थी, अतः गृह विभागने कोई कार्रवाई नहीं की और न गांधीजीके तारका उत्तर देना ही आवश्यक समझा।