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१. तार : स्वामी श्रद्धानन्दजीको

[ अगस्त २, १९१९ से पूर्व[१]]

स्वामी श्रद्धानन्दजी[२]
मार्फत लाला धर्मचन्द, वकील
अनारकली
लाहौर

शोक-सन्तप्त परिवारोंके लिए चन्देकी आपकी अपीलका समर्थन अवश्य करूँगा। मैं आपका यह पत्र छाप दूँ या आप दूसरा कोई अधिक ब्यौरेवार पत्र भेजेंगे। एक्सप्रेस तार द्वारा उत्तर दें।

हस्तलिखित अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६७३१) की फोटो नकलसे।

२. पंजाबकी पुकार

संन्यासी स्वामी श्री श्रद्धानन्दजीने पंजाब के विषयमें दिल्लीसे लिखा है:-

मैं (गत अप्रैलको दुःखद घटनाओंके[३] पश्चात्) दो बार पंजाब हो आया हूँ। मैं अमृतसर, लाहौर, गुजरांवाला, शेखपुरा और चाचड़खाना गया और वहाँ बहुत-कुछ देखा सुना। अमृतसर में १३ अप्रैलको यदि अधिक नहीं तो पन्द्रह सौ व्यक्ति अवश्य ही मारे गये होंगे। जान पड़ता है, दूसरे स्थानोंमें भी अमृतसर से कम, मगर फिर भी बहुतोंको प्राण गँवाने पड़े हैं। इनमें से सैकड़ों लोग अपने-अपने परिवारोंके एकमात्र पालनहार थे। इनमें से कुछको फाँसी या कालेपानीकी सजा सुना दी गई है; दूसरोंको १० से २० साल तकका कारावास दिया गया है। पंजाब में लगभग एक हजार परिवार तो ऐसे हैं जिनमें केवल स्त्रियाँ और बच्चे ही बच रहे हैं। उन्हें भोजन और वस्त्र पहुँचाना हमारा कर्त्तव्य है। पंडित मालवीयजीने[४] जनतासे एक लाख रुपया इकट्ठा करनेकी अपील की है परन्तु मेरा खयाल है कि हमें इनमें से कई शोक सन्तप्त परिवारोंका भरण-पोषण कम-से-कम छः मासतक करना ही होगा। यदि यह ठीक है तो डेढ़ लाख रुपयोंकी

१६-१
  1. "पंजाबकी पुकार" शीर्षक लेख २-८-१९१९ के यंग इंडिया में छपा था। देखिए अगला शीर्षक।
  2. महात्मा मुंशीराम (१८५६-१९२६); बाद में श्रद्धानन्दके नामसे आर्य समाजके प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता। गुरुकुल कांगड़ीके संस्थापक।
  3. आशय पंजाब में अप्रैल १९१९ के उपद्रवों और सरकार द्वारा किये गये जोर-जुल्मसे है। देखिए खण्ड १५।
  4. पंडित मदनमोहन मालवीय।