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क्या यह सच है कि इस उद्देश्यसे कुछ लोग १० तारीखकी रातको जहाँ-तहाँ घूमते फिरे थे?

मैं यह बात भी इतने स्पष्ट शब्दोंमें नहीं कहूँगा। क्योंकि मेरे पास इसका कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन जब और जैसे उन्हें कोई अवसर मिला, उन्होंने उस अवसरका उपयोग अवश्य किया।

यह अवसर १० तारीखको था?

उदाहरण के लिए मान लीजिए, मैं अपनी दूकानमें था और मैंने लोगोंको अपने आसपास एकत्र होते देखा, तो वह दिन जैसा था वैसे दिन स्वभावतः कुछ बहस मुबाहिसा होगा ही और यह सब कैसे करना है और क्या करना है, इस सम्बन्धमें बहस करते हुए लोगोंकी भीड़ भी जमा होगी ही। उनमें से कोई कहेगा, "अरे, आप नहीं जानते कि आपको क्या करना है? यह है वह तरीका जिससे इस तरह के काम किये गये हैं और आपको अमुक-अमुक काम करना है।" में यह भी कहना चाहता हूँ कि जहाँतक मुझे पता है, किसीने भी किसीकी जानको हानि पहुँचानेका सुझाव नहीं दिया, लेकिन निश्चय ही सम्पत्तिको हानि पहुँचानेका सुझाव दिया गया।

तो यह काम निश्चय ही १० तारीखके दिन और १० तारीखको रातमें किया गया होगा?

मुझे १० तारीखके दिनकी बात तो मालूम नहीं है। अलबत्ता १० तारीखकी शामके बारेमें में जानता हूँ, लेकिन ११ के बारेमें मेरे पास अपेक्षाकृत अधिक और स्पष्ट प्रमाण हैं।

अभी हम ११ तारीखकी भी बात करेंगे, लेकिन पहले १० की बात खत्म कर लें। आप कहते हैं, १० तारीखकी शामको यह सब इस तरह हुआ कि लोग कहीं दुकानोंके आसपास या किसी और स्थानपर जमा हो गये, और किसी एकने उनको बताया कि "अब आपको इस तरीकेसे आगे कार्रवाई करनी है।" यह तो तभी होगा जब लोग संयोगसे वहाँ आ जायें और किसी एक व्यक्तिको अवसर मिल जाये। आम तौरपर ऐसा कोई संयोग, इस तरहसे, शामको या रातमें तो नहीं आयेगा। हाँ, दिनमें ऐसा हो सकता है, है न?

मुझे नहीं मालूम।

अगर ऐसी कोई बात शामको या रातमें हो तब तो यही माना जायेगा कि यह ज्यादा सुनियोजित ढंगसे किया गया, क्योंकि लोग जान-बूझकर दूसरे लोगोंसे यह कहते फिरे कि उन्हें क्या करना चाहिए?

अगर यह बात सच भी हो कि कुछ लोग जान-बूझकर जगह-जगह जाकर यह सब कहते फिरे हों तब भी मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा। मैं ऐसी सम्भावनाकी कल्पना कर सकता हूँ, लेकिन मेरे पास इस निष्कर्षपर पहुँचनेके लिए कोई प्रमाण नहीं है कि कुछ लोग सचमुच जगह-जगह जाकर ऐसी बातें कहते फिरे। हाँ, इस बातका मेरे पास अकाट्य प्रमाण है कि कुछ व्यक्तियोंने सचमुच आम लोगोंको इस तरहकी हिंसाके लिए उत्तेजित किया।