पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/५७७

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२९७. पत्र : के० के० चन्दाको

लाहौर
जनवरी ३०, १९२०

प्रिय श्री चन्दा,

पत्रके लिए धन्यवाद।

आपने अपने पत्र में जिस नये प्रस्तावका[१] उल्लेख किया है उसका पाठ मुझे नहीं मिल पाया है।

अगर वाइसरायने ओ' डायरसे सम्बन्धित आपके प्रस्तावको नियम विरुद्ध कहकर अस्वीकृत न कर दिया होता, तो भी मैं उसे समय से पहले आई हुई चीज मानता।

हृदयसे आपका,

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ७०७९) की फोटो-नकलसे।

२९८. तार : शौकत अलीको

लाहौर
[जनवरी ३१, १९२० के पूर्व]

शिष्टमण्डलका उद्देश्य पवित्र है। इसे सिर्फ साम्राज्य सरकारसे ही प्रार्थना नहीं करनी है, सिर्फ ब्रिटिश जनमतको ही अपने पक्ष में नहीं करना है, बल्कि विश्व जनमतकी सहानुभूति भी प्राप्त[२] करनी है। इसकी शक्ति इसी बातमें निहित है कि यह [लोगोंका] विवेक कहाँतक छू सकता है। अतः इसे अपना निवेदन नम्रताके साथ करना है और अपनी माँगें दृढ़ताके साथ पेश करनी हैं। सांसारिक दृष्टिकोणसे विचार करते हुए हमारे मार्गमें बड़ी-बड़ी बाधाएँ प्रतीत हो रही हैं, परन्तु हजरत पैगम्बरके अनुसार अगर खुदाका साथ हो तो दो व्यक्तियोंकी अल्पसंख्या भी आशा और विश्वासके साथ विशाल बहुमतका सामना कर सकती है। मेरा खयाल तो यह है कि भारतके हिन्दू पूरी तरहसे आपके साथ हैं क्योंकि आपका अनुष्ठान आपके धर्मग्रंथोंकी दृष्टि से ही सत्य नहीं है वरन् नैतिक दृष्टिसे भी उचित है। और चूंकि ब्रिटिश

  1. शाही विधान परिषद् के सदस्य श्री के० के० चन्दाने अपने ही प्रस्तावके संशोधनका मसविदा गांधीजीके विचारार्थं भेजा था।
  2. यह तार ३१ जनवरी, १९२० को बम्बईको एक सार्वजनिक सभामें पढ़ा गया था।