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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

और थोड़े ताजे फल, एक संतरा दोपहरमें; यह तुम्हारे लिए ठीक है या कुछ और यह तुम्हीं अंतिम रूपसे तय करोगी। लेकिन तुम्हें अपना शरीर स्वस्थ अवश्य बना लेना है, वैसे ही जैसे कि किसी कारीगरका प्रथम कर्त्तव्य यह है कि अपने औजारोंको सही हालत में रखे। भगवान् ने हमें एक औजारकी तरह यह शरीर इसलिए दिया है कि इसका प्रयोग सुचारु रूपसे उसकी सेवामें किया जाये - इसलिए नहीं दिया कि इससे लाड़-प्यार किया जाये, और न इसलिए कि इसे बहुत सहेजकर रुई के फाहेमें रखा जाये। लेकिन इसलिए भी नहीं दिया है कि इसका दुरुपयोग किया जाये या लापरवाहीसे इसे खराब कर दिया जाये। यह एक अप्रिय उपदेश है परन्तु नितांत आवश्यक भी है।

सस्नेह,

तुम्हारा,

बापू

नेशनल आर्काइव्ज ऑफ इंडिया में सुरक्षित हस्तलिखित मूल अंग्रेजी मसविदेकी फोटो-नकल तथा माई डियर चाइल्डसे

२९६. पत्र : एस्थर फैरिंगको

शुक्रवार [जनवरी ३०, १९२०]

रानी बिटिया,

आज तुम्हारा कोई पत्र नहीं मिला। मैं ऐसे बहुत सारे लोगोंसे घिरा हुआ हूँ जिन्हें मेरी जरूरत है। इसलिए स्नेहभरा पत्र नहीं लिख पाऊँगा। अतएव मैं तुम्हें अपना समस्त स्नेह और मंगल कामनाएँ भेज रहा हूँ।

तुम्हारा,

बापू

[पुनश्चः]

यदि लिख सको तो मुझे एक आनन्दप्रद और उल्लासपूर्ण पत्र लिखो।

मो० क० गां०

नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया में सुरक्षित हस्तलिखित मूल अंग्रेजी मसविदेकी फोटो-नकल तथा माई डियर चाइल्डसे