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पत्र : आनन्दशंकर ध्रुवको

बहुत शर्म की बात होगी। इसकी चर्चा न करना। मैंने मगनलालको [इस आशयका] संकेत दिया है और तुम्हें भी दे रहा हूँ।

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजराती पत्र (एस० एन० ११८८८) की फोटो-नकलसे।

३००. पत्र : श्रीमती ब्राउनको

लाहौर
जनवरी ३१, १९२०

प्रिय श्रीमती ब्राउन,

आपके कृपा-पत्रके लिए धन्यवाद। मैं अभी-अभी लाहौर पहुँचा हूँ। अब पोस्टरका अनुवाद करवा रहा हूँ और आवश्यक जाँच-पड़ताल भी करूँगा। आपका पत्र पढ़कर तो मुझे लगता है कि आपको जमीन मिल गई है लेकिन आप बेकार ही लोगोंकी भावनाको ठेस नहीं पहुँचाना चाहतीं। यह भी लगता है कि गलतफहमीको रोकना चाहती हैं और अगर सम्भव हो तो उन लोगोंको तबाही से भी बचाना चाहती हैं जिन्होंने, कहा जाता है कि तथ्योंको तोड़-मरोड़कर पेश किया था।

हृदयसे आपका,

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ७०८३) की फोटो-नकल से।

३०१. पत्र : आनन्दशंकर ध्रुवको

जनवरी ३१, १९२०

सुज्ञ भाई,

धर्म-शिक्षाकी पुस्तकोंके सम्बन्धमें मुझे जो पत्र प्राप्त हुआ है उसे में इस पत्रके साथ भेज रहा हूँ। क्या आप इस विषय में कुछ कर सकेंगे? क्या 'बाइबिल स्टोरी' आदि पुस्तकोंके ढंगकी 'महाभारत', 'रामायण' आदिपर आधारित किताबें प्रकाशित नहीं की जा सकतीं? धनका...[१] खाने में ही खर्च किया जाया करेगा। ...[२] भीख माँग-मांगकर धन एकत्रित करना सम्भव हो जायेगा। परन्तु उसकी झंझटमें मैं आपको नहीं डालना चाहता। आपके पास समय है? [इस प्रकारकी पुस्तकें] लिखनेकी ओर

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  1. साधन-सूत्र में कुछ शब्द गायब हैं।
  2. साधन-सूत्र में कुछ शब्द गायब हैं।