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पत्र : लॉर्ड विलिंग्डनके निजी सचिवको


फैसलेका मेरा अपना विश्लेषण है ।[१] मुझे बतलाया गया है कि युवक करमचन्दका विवाह हाल ही में हुआ है और उसका पिता तो अपने सर्वथा निर्दोष पुत्रके जेल में डाल दिये जानेके कारण बिलकुल ही टूट गया है।

आपका विश्वस्त,

मो० क० गांधी

संलग्न : १, ('यंग इंडिया' की प्रति )

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६८१९) की फोटो - नकलसे।

४१. पत्र : लॉर्ड विलिंग्डनके निजी सचिवको

लैबर्नम रोड

गामदेवी बम्बई

अगस्त २२, १९१९

प्रिय महोदय,

मैं यह पत्र महामहिमके सामने प्रस्तुत करनेके लिए एक निजी ढंगके बहुत ही जरूरी कामके सिलसिले में लिख रहा हूँ।

सम्भवतः डेनमार्ककी कुमारी फैरिंगका नाम, जो अभी हालतक तिरुकोइलूरमें मिशनके एक बालिका स्कूलकी सुपरिटेंडेंटके पदपर काम कर रही थी, महामहिमके ध्यानमें आ चुका है। लगभग दो वर्ष पहलेकी बात है, वे अहमदाबादके मेरे आश्रम- में एक अन्य डेनिश महिलाके[२] साथ गई थीं और दोनों ही महिलाओंने आश्रम तथा उसके आदर्शो में विशेष दिलचस्पी ली थी। उसके बाद से कुमारी फैरिंग मुझसे तीन-चार बार मिल चुकी हैं और मेरा खयाल है कि वे बादमें भी एक बार आश्रम आई हैं। वे काफी नियमित रूपसे मुझसे पत्र व्यवहार करती रही हैं[३] और मैं समझता हूँ कि उनका मुझसे इस तरहका लगाव है जैसा कि पितासे अपनी बच्चीका होता है; और इसका कारण केवल यह है कि उनकी रायमें मैं अपने कार्योंमें उन आदर्शोंका प्रतिनिधित्व करता हूँ जिन्हें वे अपने निजी जीवनमें उतारनेकी बराबर कोशिश कर रही। वे भारतको अपनी मातृभूमिकी तरह प्यार करती हैं और में यह भी जानता हूँ कि यदि उन्हें भारतसे निर्वासित किया गया तो उनको बड़ा मानसिक क्लेश होगा; जिसकी उन्हें आशंका है। इधर कुछ दिनोंसे उनपर सन्देह किया जाता रहा है और

  1. देखिए "एक और कलंक", २०-८-१९१९
  2. एन० मेरी पीटर्सन।
  3. देखिए खण्ड १३, १४ और १५