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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इसका ध्यान मुझे महादेवके दुःखसे हुआ। महादेवने तो अपने दुःखको हँसकर धो डाला यह उसकी अच्छाई है।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० ११८८९) की फोटो-नकलसे।

२७. भाषण: सरगोधामें

१३ फरवरी, १९२०

...महात्माजी ढाई बजे जनताके समक्ष आये। उस समय उन्होंने आर्यसमाजभवनमें नगरकी महिलाओंके बीच एक छोटा सा भाषण देते हुए कहा कि आप लोगोंको हमेशा सभामें आने के पश्चात् शान्त रहना चाहिए और जो कुछ कहा जाये उसे ध्यानसे सुनना चाहिए। आप लोगोंको सूत कातना चाहिए। इसके बाद वे नगर निगमके उद्यानकी ओर चल पड़े।...

...महात्माजी थोड़ी ही देर बोले, जिसमें उन्होंने सेनामें भरतीके उन आपत्तिजनक तरीकोंका संक्षिप्त रूपसे जिक्र किया, जिन्हें महायुद्धके दिनोंमें इस जिलेके कुछ अधिकारियोंने अपने उत्साहातिरेकमें अपनाया था। उन्होंने कहा कि कुछ लोग गलतीसे यह समझ बैठे हैं कि साथ खाने-पीने से ही विभिन्न समुदायोंके बीच पारस्परिक प्रेम उत्पन्न हो सकता है, परन्तु यह धारणा गलत है। प्रेम हृदयका गुण है, इसलिए यह एक-दूसरेके दुःख-सुखमें सम्मिलित होकर, स्वधर्मका परित्याग किये बिना ही, उत्पन्न और परिवर्धित किया जा सकता है। सभामें सम्मिलित होते समय श्रोताओंको कठोर अनुशासनका पालन करना चाहिए। चूंकि हमारा देश संसार-भरमें सबसे अधिक गरीब है--जहाँ प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक आय २४ या २५ रुपये से ज्यादा नहीं है--इसलिए स्वदेशीको प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि हमारे देश में प्रतिवर्ष बाहरी देशोंसे ६० करोड़ रुपयेका तो केवल कपड़ा ही आया करता है, इसलिए हमें सूत कातना और कपड़ा बुनना चाहिए।

[अंग्रेजीसे]
ट्रिब्यून, २२-२-१९२०