उन्होंने कहा कि मैं भारतके अपने भ्रमणमें सरलादेवीको साथ रखता हूँ क्योंकि उन्होंने स्वदेशीके मेरे सिद्धान्तोंको कस्तूरवासे भी अधिक अच्छी तरह समझ लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि यों सरलादेवी भी स्वदेशी कपड़ेका उतना उपयोग नहीं करतीं जितना मैं चाहता हूँ।
बॉम्बे सीक्रेट एक्स्ट्रैक्ट्स, १९२०, पृष्ठ ११४३
६१. इश्तहार : खिलाफतके सम्बन्धमें[१]
[ बम्बई सिटी
२६ जुलाई, १९२०][२]
अल्लाहो अकबर
विस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
जो शख्स इस्लामके दुश्मनका दोस्त बनता है वह भी इस्लामका दुश्मन माना जा सकता है।
खिलाफतका तीसरा दिन आ पहुँचा है।
चलो बढ़ो। काम करनेका मैदान सामने है। अपने ईमानकी मजबूतीका सबूत दो।
असहयोग [तर्फे मवालात] का काम शुरू हो चुका है और यह इम्तहानकी पहली मंजिल है। इस्लामके नाम, अल्लाह और पैगम्बरकी शानका खयाल करो, कोई ऐसा काम न किया जाये जिससे तुम्हारे अकीदेकी कमजोरी जाहिर हो। यही दुश्मनोंको शिकस्त देनेका रास्ता है।
पहली अगस्तको असहयोग शुरू हो रहा है। उस दिन नमाज पढ़ो, रोजा रखो, कारबार बन्द रखो, सभाएँ करो और परवरदिगारसे वायदा करो कि हक और सचाई के लिए तुम हर तरहकी मुसीबत झेलोगे। खिताबों और अवैतनिक पदोंको छोड़ दो। यह भी याद रखो कि दंगे और बदअमनी किसी भी शक्लमें फायदेमन्द नहीं हैं। उनसे दूर रहो और सच्चे रास्ते पर चलते रहो।
हिदायतें तफसील के साथ अलग शायाकी जा रही हैं। आगे क्या करना है अपने जिले या सूबेकी खिलाफत कमेटीसे मालूम करो और याद रहे कि बढ़ा हुआ कदम पीछे न हटे। तुम्हारी जिन्दगीकी कामयाबीका राज यही है।