शाया करनेवाले:
मो॰ क॰ गांधी
अबुल कलाम आजाद | शौकत अली |
अहमद हाजी सिद्दीक खत्री | सैफुद्दीन किचलू |
फजलुल हसन हसरत मोहानी | मुहम्मद अली |
असहयोग समिति के सदस्य,
माउण्ट रोड, मजगांव, बम्बई
६२. खिलाफत आन्दोलन और श्री मॉण्टेग्यु
श्री मॉण्टेग्यु इस खिलाफत आन्दोलनको पसन्द नहीं करते जो दिनों-दिन जोर पकड़ता जा रहा है। खबर है कॉमन्स सभा में पूछे गये प्रश्नके उत्तर में उन्होंने कहा कि यद्यपि में स्वीकार करता हूँ कि श्री गांधीने अतीतमें देशकी विशिष्ट सेवाएँ की हैं, लेकिन उनके वर्तमान रुख से मुझे चिन्ता होती है, और यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि अब उनके प्रति वैसा ही उदारतापूर्ण व्यवहार किया जायेगा जैसा रौलट अधिनियमको लेकर होनेवाले आन्दोलन के दौरान किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि मुझे [भारतकी] केन्द्रीय सरकार और प्रान्तीय सरकारोंमें पूरा भरोसा है। ये सरकारें आन्दोलनपर सावधानीसे नजर रख रही हैं तथा उन्हें परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी सत्ता प्राप्त है।
कुछ क्षेत्रोंमें श्री मॉण्टेग्युके इस वक्तव्यको धमकी माना गया है। कुछने तो यहाँतक माना है कि इस प्रकार उन्होंने भारत सरकारको, अगर वह चाहे तो, एक बार फिर आतंकका शासन स्थापित कर देनेकी पूरी छूट दे दी है। निश्चय ही उनकी यह बात सरकारको जनता के सद्भावपर आधारित करनेकी उनकी इच्छासे मेल नहीं खाती। साथ ही अगर इंटर समितिके निष्कर्ष सही हों और अगर गत वर्षके उपद्रवोंकी जड़में में ही रहा होऊँ तब तो निःसन्देह मेरे साथ असाधारण उदारताका व्यवहार किया गया। मैं यह भी स्वीकार करता हूँ कि आज साम्राज्यका संचालन जिस ढंगसे किया जा रहा है उसे देखते मेरी इस वर्षकी गतिविधियाँ गत वर्षकी गतिविधियोंकी तुलना में साम्राज्यके लिए ज्यादा खतरनाक हैं। असहयोग स्वयं में तो सविनय अवज्ञा से भी अधिक हानिरहित है, लेकिन प्रभावकी दृष्टिसे देखें तो यह सरकारके लिए सविनय अवज्ञासे कहीं अधिक खतरनाक है। अभीतक असहयोगका उद्देश्य सरकारको केवल इस हदतक गतिशून्य कर देना है कि उसे लाचार होकर न्याय देना पड़े। अगर