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तार: मुहम्मद अलीको

पृष्ठ कम हो गये हैं,[१]यह बात भी खेदजनक हो सकती है; लेकिन कागजकी तंगीके दिनोंमें यदि अधिक पृष्ठ न दिये जा सकें तो 'नवजीवनको अपना माननेवाले' पत्रलेखक-जैसे व्यक्तियोंके निकट यह बात क्षम्य होनी चाहिए। किन्तु पृष्ठ-संख्या कम होनेसे विषय-सामग्रीके कम हो जानेकी कल्पना करना जरूरी नहीं है। पृष्ठोंको कम करने के बाद लेखोंको अधिक संक्षिप्त रूपमें लिखनेका प्रयत्न किया गया है, किन्तु विषय-वस्तुमें तनिक भी कमी नहीं की गई है।

इस सबके बावजद यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि उक्त पत्र 'नवजीवन' का बचाव करनेकी खातिर ही प्रकाशित नहीं किया गया है; बल्कि इसका उद्देश्य यह है कि अन्य दूसरे लोग 'नवजीवन' में जो दोष देखते हों, तथा जो उसकी आलोचना करना चाहते हों वे विवेकका आँचल छोड़े बिना साहसपूर्वक अपना नाम प्रकट करते हुए दोषदर्शन और आलोचना करें। 'नवजीवन' की प्रतिष्ठा स्पष्टत: उसका बचाव करनेसे नहीं टिकेगी, वह तो तभी टिकेगी जब वह हर तरह योग्यता प्राप्त करेगा।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ४-७-१९२०

 

७. तार : मुहम्मद अलीको

[७ जुलाई, १९२० के पूर्व]

श्री गांधीने निम्नलिखित तार श्री मुहम्मद अलीको[२]लन्दन भेजा है:

प्रभावशाली व्यक्तियोंके हस्ताक्षरोंसे[३]युक्त मुसलमानोंका प्रार्थनापत्र[४]वाइसरायके पास पहुँच गया है जिसमें पूरी नम्रता प्रदर्शित करते हुए भी अपनी बातपर दृढ़ आग्रह। प्रार्थनापत्रमें घोषणा की गई है। अगर शान्ति-संधिकी शर्तोंमें परिवर्तन नहीं किया जाता या यदि वाइसराय महोदय खिलाफत आन्दोलनका नेतृत्व नहीं करते तो १ अगस्तसे असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ होगा। मैंने अपनी ओरसे एक अलग प्रार्थनापत्र[५]दिया है जिसमें इस आन्दोलनसे अपने सम्बन्धोंपर प्रकाश डाला है और अपने-आपको इसमें पूरी तरहसे शामिल बताया है।

  1. पृष्ठोंकी संख्या पहले १६ से घटाकर १२ कर दी गई और फिर सिर्फ ८ ही रह गई थी। देखिए खण्ड १७, पृष्ठ ७६-७८ तथा ३८०-८१।
  2. १८७१-१९३१; वक्ता, पत्रकार और राजनीतिज्ञ; १९२० में इंग्लैंड जानेवाले शिष्टमण्डलका नेतृत्व किया; १९२३ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके अध्यक्ष।
  3. हस्ताक्षरकर्त्तोओं में याकूग हसन, मजहरुल हक, मौलाना अब्दुल बारी, हसरत माहानी, शौकत अली और डा॰ किचलू आदि शामिल थे।
  4. देखिए खण्ड १७, परिशिष्ट ६ ।
  5. देखिए खण्ड १७, पृष्ठ ५४५-४९ ।