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भाषण: गयामें

पर मैं कदाचित ही टीका करता हूँ। मैं कदाचित् ही समाचारपत्रोंको पढ़ता हूँ। लेकिन ‘गुजराती’ पत्रको अनेक लोग पढ़ते हैं। उसमें सनातन धर्मके स्वरूपको बतानेका दावा किया गया है। इसलिए में जब उसमें वक्ता देखता हूँ तो मुझे दुःख होता है। मुझे एक मित्रने महाराजश्री के साथ हुए मेरा संवाद और तत्सम्बन्धी टीका काटकर भेजी हैं। इन दोनोंमें जाने-अनजान अधर्मको धर्म सिद्ध करनेका प्रयास देखता हूँ। यह कैसे हुआ, इसे मैं बादमें बतानेका प्रयत्न करूँगा।[१]

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ५-१२-१९२०
 

५३. भाषण: गयामें

५ दिसम्बर, १९२०

महात्मा गांधीने कहा कि गया शहर पवित्रताके लिए विख्यात है। मैं चाहता हूँ कि आपके हृदय भी वैसे ही शुद्ध और पवित्र बनें। यदि आप त्याग करनेके लिए तैयार हो जाये तो ऐसा हो सकता है। उस त्यागके बारेमें मुस्लिम लीग, सिख लीग तथा ऐसी ही अन्य सभाओंके द्वारा आपको मालूम हो गया है। उदाहरणके लिए उन्होंने कहा कि वकीलोंको वकालत छोड़नी होगी; किन्तु किसी एक भाईके वकालत छोड़नसे सफलता नहीं मिलेगी। मैं सभी वकील भाइयोंसे आग्रह करूँगा कि वे अपनी वकालत छोड़ दें। कांग्रेसने अदालतोंका बहिष्कार करना तय किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कोई न कोई ऐसी संस्था खड़ी होगी जहाँ लोग अपने मामलोंपर निर्णय प्राप्त करनेके लिए जा सकेंगे। सारे सरकारी खिताब भी छोड़ दिए जायें। लड़कोंको स्कूलोंसे हटा लिया जाये। सोलह सालके और उससे अधिक उम्रवाले लड़कोंको अपने माता-पिता और अभिभावकोंसे करबद्ध प्रार्थना करनी चाहिए कि उन्हें उन स्कूलोंमें न भेजें जिनका प्रबन्ध सरकार करती है, जिनको सरकारी इमदाद मिलती है या जिनपर सरकारका नियन्त्रण है। मुझे अभी-अभी पता चला है कि गयामें बहुत थोड़े लोगोंने ही अपना मत दिया।[२] परन्तु उनको परीक्षाका समय तो अब आया है। उन्हें विधान परिषदके इन सदस्योंसे या उनके जरिये, कोई मदद नहीं लेनी चाहिए; नहीं तो मताधिकारका प्रयोग करना, न करना एक बराबर होगा। उन्हें स्वदेशीके लिए काम करना चाहिए। उन्हें अपनी माताओं और पत्नियोंसे चरखा कातनेको कहना चाहिए। लोग बहुत-बड़ी सभाएँ करना जानते हैं परन्तु अपना कर्त्तव्य नहीं पहचानते। यदि वे अपना कर्त्तव्य करें और उपर्युक्त तरीकोंपर चलें तो स्वराज्य मिल जाये। उन्हें कोषमें धन भी देना चाहिए। जो व्यक्ति कोई अन्य त्याग नहीं करता उसे कोषमें धन तो देना ही

  1. देखिए “वैष्णव और अन्त्यज”, १२-१२-१९२०।
  2. विधान परिषद्के चुनाव में।