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भाषण: ढाका में

और स्त्रियोंका बेपरदा किया जाना――ये घटनाएँ दादाभाई नौरोजीके समयमें कभी घटित नहीं हुई थीं। यदि आप कहें कि हमारे लिए कौंसिल बना दी गई है और लॉर्ड सिन्हा बिहारके गवर्नर नियुक्त किये गये हैं, यह हमारे ऊपर कृपा की गई है, तो मैं आपसे कहूँगा कि अब आप पूरे गुलाम बन चुके हैं। भारतकी दशा अबसे ५० वर्ष पहले जितनी बुरी थी, अब उससे ज्यादा बुरी है। भारतीय ५० वर्ष पहलेकी अपेक्षा अब ज्यादा कायर हैं। ५० वर्ष पहले उनमें इतनी ताकत थी कि वे तलवार लेकर लड़ सकते थे, लेकिन अब वे पहलेसे कमजोर हो गये हैं। भारतको गुलामीकी जंजीरोंसे छुड़ाना बहुत मुश्किल हो गया है। मुसलमानोंको बहका कर विदेशोंमें जाने और तुर्कोंसे लड़नेके लिए राजी कर लिया गया और मेसोपोटामियाको कब्जे कर लिया गया। हमारी सरकारने हमें सुधार-योजना [१] दे कर सान्त्वना दी; और साथ ही रौलट भी पास कर दिया। भारतमें ऐसी घटनाएँ हुई हैं जिनके कारण भारतीयोंको जमीनपर नाक घिसनेतक का अपमान सहना पड़ा है। पंजाबके मामलोंकी जाँचके लिए कांग्रेस द्वारा नियुक्त समितिमें[२] मेरे तथा पण्डित मदनमोहन मालवीय, पण्डित मोतीलाल नेहरू, हरकिशन लाल, लाला गिरधारीलाल और जयकरके[३] साथ काम करते हुए, श्री सी० आर० दासने[४] जो सेवाएँ की हैं उन्हें भारत कभी नहीं भूल सकता। जब रिपोर्ट[५]प्रकाशित हुई तो मैंने उसके निष्कर्ष काफ़ी काट-छाँटके साथ स्वीकार किये और ठान लिया कि या तो इस सरकारको मिटा दूँगा या डरकर रह जाऊँगा। हम उस पतित शासककी[६], जिसने पंजाबको बरबाद कर दिया, पेंशनतक नहीं रुकवा सके। मैंने शौकत अली और मुहम्मद अली, दोनों भाइयोंसे दोस्ती कर ली है, और अपने भारतीय भाइयोंके सामने वचन दिया है कि मैं उनके पक्षमें लड़ता रहूँगा और यदि मुसलमान भाइयोंकी माँगें मान नहीं ली जातीं तो अपने जीवनकी आहुतितक दे दूँगा। मैं खिलाफतके लिए अपने प्राण दे दूँगा। हमारा धर्म यह नहीं सिखाता कि हम अपनी तलवारोंसे अंग्रेजोंके गले काटें। यदि हम भारत में अपनी तलवारें काममें ला सके होते तो मुहम्मद अली और शौकत अली दोनों कभी चुप नहीं बैठते। उन्होंने मुसलमान जातिका हित करनेके खयालसे अपनी तलवारें म्यानोंमें रख ली हैं। आपके सामने जो आन्दोलन चल रहा है, वह अहिंसात्मक असहयोगका आन्दोलन है। अगर आप एक सालके भीतर भारतको स्वतन्त्र करना चाहते हैं――जब में एक साल कहता हूँ तो मैं मज़ाक नहीं करता; मेरा मतलब सचमुच एक साल ही है――तो आप

  1. मॉण्टेग्यु-चैम्सफोर्ड सुधार योजना।
  2. कांग्रेस द्वारा अप्रैल १९१९ में पंजाबके उपद्रवोंकी जाँचके लिए नियुक्त उप-समिति।
  3. मुकुन्दराव रामराव जयकर (१८७३-१९५९); बम्बईके वकील और उदारदलीप नेता; इन्होंने राजनैतिक समझौतेकी बातचीत में प्रमुख हिस्सा लिया था।
  4. १८७५-१९२५; प्रसिद्ध वकील और कांग्रेसके नेता।
  5. पंजाबके उपद्रवोंके सम्बन्धमें उक्त उप-समितिकी रिपोर्ट जो २५-३-१९२० को प्रकाशित की गई थी।
  6. सर माइकेल ओ'डायर।