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नागपुर कांग्रेस

धन जुटा सकते हैं हमें उन सबकी आवश्यकता है। लेकिन इस विषयमें और बातें मुलाकात होनेपर होंगी।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।
सौजन्य: नारायण देसाई
 

१०८. नागपुर कांग्रेस

कांग्रसने क्या किया? हमें क्या करना चाहिए? अहमदाबादका[१]क्या कर्त्तव्य है? प्रत्येक व्यक्तिके मनमें ये तीनों प्रश्न उठने चाहिए। कांग्रेसने हमें नया संविधान[२] दिया, सर्वसम्मति से शान्तिमय असहयोगका प्रस्ताव पास किया। कांग्रेसका इतना जोरदार अधिवेशन कभी नहीं हुआ। कांग्रेसने इतनी दृढ़तासे पहले कभी विचार नहीं किया। संविधान में महत्वपूर्ण परिवर्तन किये गये। कांग्रेसके उद्देश्यपर खूब चर्चा हुई और दो रात और एक दिन विचार-विमर्श करने के बाद अन्ततः प्रान्त-प्रान्तके मत लिये गये और उद्देश्यमें किये गये परिवर्तनको लगभग सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया।

नया उद्देश्य यह है कि हमें अपनी कल्पनाका स्वराज्य प्राप्त करना चाहिए। यह स्वराज्य, ब्रिटिश सम्बन्ध रहे तो रखकर और यदि वह सम्बन्ध सन्तोषजनक न हो तो तोड़कर भी प्राप्त करना है। अगर इस सम्बन्धको बन रहना है तो वह केवल उसी रूपमें रह सकता है जो कांग्रेसके लिए अपने उद्देश्यको पूर्णतया फलीभूत कर सकने में बाधक न बने अर्थात् अंग्रेजोंको अपनेको श्रेष्ठ समझनकी भावनाको भुला हिए। जबतक हमें ऐसा एहसास हो कि मुट्ठीभर अंग्रेज हमपर राज्य चला रहे हैं तबतक हमें अंग्रेजोंके साथ सम्बन्ध रखना असह्य ही लगना चाहिए। ऐसा स्वराज्य प्राप्त करनेके उपाय भी कांग्रेसने सुझाये हैं। हमें शान्ति और शुद्ध साधनोंके द्वारा स्वराज्य प्राप्त करना है, ऐसा कांग्रेसने निश्चय किया है। झूठ, युक्ति, दम्भ और ढोंग आदिको यहाँ अवकाश नहीं है। हमें सच्चे मार्गको अपनाना और उसपर चलते हुए मारना नहीं बल्कि मरना――‘मरकर जीनेका मन्त्र’ सीखना है। इस मन्त्रका अनुसरण करनेके कारण ही यह जगत चल रहा है। बीजके नष्ट होनेपर ही धान पकता है। यज्ञ किये बिना खाना चोरी है। बलिदानसे ही स्वराज्यकी प्राप्ति होगी और यदि यह बलिदान, यह कुर्बानी पवित्र-पाक होगी तभी ईश्वरको भी अच्छा लगेगा।

 
  1. कांग्रेसका अगला अधिवेशन, दिसम्बर १९२१ को अहमदाबादमें होनेवाला था।
  2. देखिए “नागपुर अधिवेशनमें पास किया गया कांग्रेसका संविधान”, दिसम्बर १९२०।