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नागपुर कांग्रेस

५. व्यापारी लोग समय रहते जैसे-तैसे विदेशी व्यापार और सम्बन्धोंको तोड़ डालें और हाथसे कातने और बुननेके कामको प्रोत्साहन दें।

६. विधान परिषदोंके[१] उन प्रतिनिधियोंको, जो मतदाताओंके विरोध करनेके बाव- जूद निर्वाचित हुए हैं, विधान परिषदोंसे त्याग-पत्र दे देना चाहिए और जो जनमतके विरोध करनेके बावजूद त्याग-पत्र न दें उनसे मतदाताओंको राजनीति सम्बन्धी कोई कार्य नहीं लेना चाहिए।

७. सिपाहियों और अन्य सरकारी नौकरोंको कौमके प्रति नम्रता, दया और सत्यका व्यवहार करना चाहिए; वे राजनैतिक सभाओंमें भाग लें किन्तु भाषण न दें और स्वराज्यके आन्दोलन में खुले रूपसे धन दें।

८. सिपाहियोंको अपनी नौकरीको अपने धर्म अथवा देशसे ज्यादा प्रिय नहीं समझना चाहिए और उनपर जो आरोप लगाये जाते हैं उन्हें अपने सद्व्यवहारसे मिथ्या सिद्ध कर देना चाहिए। उन्हें बता देना चाहिए कि वे अपनी कौमके प्रति भावना-हीन भाड़के टट्टू नहीं हैं।

९. प्रत्येक स्त्री-पुरुषको भरसक स्वार्थ त्याग करना चाहिए।

१०. सबको यह समझना चाहिए कि शान्तिमें ही हमारी विजय निहित है और उस शान्तिको हमें सिर्फ सरकारके साथ ही बनाये रखना है सो बात नहीं, बल्कि हमें परस्पर एक-दूसरे के साथ भी शान्तिको बनाये रखना है। शान्ति रखना अर्थात् मारपीट न करता, इतना ही नहीं वरन् गाली-गलौज न करना भी है।

११. सबको हिन्दू-मुसलमानोंके बीच ऐक्य भावको बढ़ाना चाहिए और उसी प्रमाणमें हिन्दुस्तानमें एक-दूसरेके बीचकी कटुताको दूर करना चाहिए। ब्राह्मण और ब्राह्मणेत्तर झगड़ेको मिटाना और अस्पृश्यताके पापको दूर करना चाहिए।

इतना यदि हम एक वर्षके भीतर कर सकें तो एक वर्षमें ही हमें स्वराज्य मिल जाये। अगर हम इसमें देर करेंगे तो स्वराज्य भी देरीसे मिलेगा।

हमारा कर्त्तव्य स्पष्ट है। हममें से प्रत्येक व्यक्तिको अपनी सामर्थ्य-भर बलिदान देना चाहिए। हम अन्य लोगों से भी ऐसा ही करनेको कहें। इसके लिए नई पद्धतिके अनुसार तुरन्त सभाएँ आदि करनी चाहिए। अब आगामी कांग्रेस में एक भी ऐसा प्रतिनिधि नहीं होना चाहिए जिसके बच्चे सरकारी स्कूलोंमें जाते हों, जो स्वयं वकालतका धन्धा करता हो और जिसने अपने ऊपर लागू होनेवाली शर्तोंका पालन नहीं किया हो। इसलिए प्रत्येक प्रतिनिधिके शरीरपर――फिर चाहे वह स्त्री हो अथवा पुरुष ――हाथसे कते सूतके, हाथसे बुने हुए वस्त्र ही होने चाहिए। ऐसे सात हजार प्रतिनिधियों और अन्य कार्यकर्ताओंके होनेपर हम कहाँसे-कहाँ पहुँच जायेंगे, यह समझना कोई कठिन कार्य नहीं है।

आगामी कांग्रेसको अहमदाबाद में होनेका आमन्त्रण दिया गया है; अर्थात् अहमदाबादने नवीन संविधानको सफल बनानेकी प्रतिज्ञा ली जान पड़ती है। अहमदाबाद के लिए यह भारी सम्मान प्राप्त करनेके साथ एक जोखिमको अपने सरपर लेना भी है।

  1. विधान परिषदोंके चुनाव नवम्बर १९२० में हुए थे।