पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 19.pdf/२४३

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स्मरणांजलि २१५ वे सम्राट्के एलची हैं। अंग्रेजोंकी सत्ताको मजबूत करना ही उनका उद्देश्य है । उनके आगमनका परिणाम वर्तमान राज्याधिकारियोंके पदोंमें वृद्धि भी हो सकता है। यदि हम उनका सम्मान करते हैं तो वह हमारे लिए अपनी गुलामीका सम्मान करनेके समान होगा। यदि हम इस शासन-सत्ताके मदको उतारना चाहते हैं तो हमारा धर्म है कि हम ऐसा कोई भी कार्य न करें जिससे उसके मदमें वृद्धि हो सके। हमें अगर विश्वास हो जाये कि नई धारासभाओंसे हमें कुछ लाभ नहीं होगा तो हम उनकी प्रतिष्ठा में वृद्धि करनेके लिए आनेवाले मनुष्यका स्वागत नहीं कर सकते। इसलिए ड्यूक ऑफ कनॉट जहाँ-जहाँ जायें वहाँ-वहाँ लोगोंको अपने घरोंके द्वार बन्द करके अन्दर बैठे रहना चाहिए; रोशनी हो तो उसे देखने नहीं जाना चाहिए और कोई अन्य उत्सव हो तो उसमें भाग नहीं लेना चाहिए। हमारे पास इस सत्ताके प्रति अपनी नापसन्दगी जाहिर करनेका सिर्फ यही रास्ता है । [ गुजरातीसे ] नवजीवन, ९-१-१९२१ ११०. स्मरणांजलि


समुद्रकी अथाह, अँधेरी कन्दराओंमें, सबकी दृष्टिसे दूर,
शुद्ध, सात्विक किरणोंकी आभा बिखेरनेवाले रत्नोंका ढेर पड़ा

होता है।


और निर्जन बन- प्रान्तरोंमें फूल भी, न जाने कितने खिलते हैं; लेकिन रेगिस्तानी हवाओंको अपना सौरभ लुटाकर अनदेखे ही

मिट जाते हैं।

जब मैं अपने उस दिवंगत मित्र और सहयोगीके विषयमें सोचता हूँ तो सहज ही ग्रे-रचित शोक-गीतकी ये स्मरणीय पंक्तियाँ ध्यानमें आ जाती हैं। गत ४ अगस्तको नागपुर में मृत्युने उसे ग्रस लिया, लेकिन अपने सगे-सम्बन्धियों और मित्रोंके अतिरिक्त उस हुतात्माके लिए आँसू बहानेवाला और कोई नहीं था । अमरावतीके यादवड़कर पटवर्धन ख्यातिसे कोसों दूर थे, लेकिन वे उन लोगोंकी तुलनामें राष्ट्रके कुछ कम निष्ठा- वान् सेवक नहीं थे, जो जनताकी आँखोंके सामने प्रकाशमें काम करते हैं और इस तरह अति उदार जनसमुदायसे, जो अक्सर विचार-शून्य भी हुआ करता है, प्रशस्ति प्राप्त करते हैं। पटवर्धनने बम्बई विश्वविद्यालयसे कानूनके स्नातककी उपाधि प्राप्त की थी, किन्तु उन्होंने कभी वकालत नहीं की। मुझे सर्वप्रथम सन् १९१५ में उन्हें जाननेका सौभाग्य मिला था । वे बराबर आश्रम में रहे। उनके चरित्रकी सौम्यता, सादगी अपनेको शून्य कर रखनेका स्वभाव, सहज विनम्रता, दृढ़ता और उन्हें जो भी काम दिया जाता था उसके प्रति उनकी निष्ठा - इन गुणोंपर में मुग्ध था। उन्होंने बिना किसी १. साबरमती आश्रम, अहमदाबाद | Gandhi Heritage Portal