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टिप्पणियाँ

नहीं मिल जाता तबतक आपको अपनी किताबी शिक्षा बन्द रखनी होगी। अगर मैं सब विद्यार्थियोंमें अपने जैसे विश्वासका संचार कर सकूँ, तो निश्चित है कि उन्हें अपनी पढ़ाई एक सालतक भी बन्द नहीं रखनी पड़ेगी।

मैं आपसे स्थगित पढ़ाईके स्थानपर जहाँतक हो सके, एक वर्षकी इस निश्चित अवधि ही के अन्दर स्वराज प्राप्त करनेके तरीकोंका अधिकसे- अधिक शान्त ढंगसे अध्ययन करनेका अनुरोध करूँगा। मैं आपके हाथोंमें चरखा देता हूँ। मेरा कहना है कि यही भारतकी आर्थिक मुक्तिका आधार है।

लेकिन अगर आपकी इच्छा हो तो इसे अस्वीकार करके, श्री दासने[१] आपके लिए जिस कालेजकी व्यवस्था करनेका वचन दिया है, उसमें खुशीसे जा सकते हैं। गुजरातके नेशनल कालेजके[२] आपके साथी विद्यार्थियोंमें से अधिकांशने प्रतिदिन कमसे-कम चार घंटे चरखा कातनेका व्रत लिया है। एक सुन्दर कलाको सीखने और साथ ही नंगोंको वस्त्र प्रदान करनेमें कोई बड़ा त्याग करनेकी बात नहीं है।

सरकारी कालेजोंका परित्याग करके आपने अपना फर्ज अदा किया है। मैंने तो आपको, सिर्फ यह दिखाया है कि आपके पास जो समय है, उसे सबसे आनन्ददायक और लाभप्रद तरीकेसे कैसे बिताया जा सकता है।

ईश्वर आपको अपने निश्चयपर अटल रहनेके लिए बल और साहस प्रदान करें।

आपका शुभचिन्तक,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १९–१–१९२१

 

१२०. टिप्पणियाँ

लॉर्ड रीडिंग[३]

नये वाइसरायकी नियुक्तिकी जिस घोषणाका[४] इतने दिनोंसे इन्तजार था वह कर दी गई है। लेकिन अगर आजसे दो साल पहले [इंग्लैंडके] लॉर्ड चीफ जस्टिसको वाइसराय नियुक्त किया जाता तो लोगोंको आश्चर्य होता; वे इस बातकी तारीफ भी करते। लेकिन आज तो वे इस ओरसे बिलकुल ही उदासीन हैं, और यह ठीक भी है। मौजूदा हालतको देखते हुए तो एक फौजी तानाशाह भी अगर अच्छा न होता तो कुछ

  1. चित्तरंजन दास कलकत्तामें एक राष्ट्रीय कालेज प्रारम्भ करनेवाले थे।
  2. यह कालेज अहमदाबादमें खोला गया था।
  3. रूफ़स डैनियल आइजक्स (१८६०-१९३५); रीडिंगके प्रथम माक्विंस; ब्रिटिश राजनीतिज्ञ; इंग्लैंड लॉर्ड चीफ जस्टिस, १९१३-२१; भारतके वाइसराय और गवर्नर-जनरल, १९२१-२६; इंग्लैंडके प्रथम राष्ट्रीय मंत्रिमंडलमें विदेश मन्त्री, १९३१ ।
  4. यह घोषणा ९ जनवरी, १९२१ को की गई थी।