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क्या ईसा मसीहने सहयोग किया था?

हैं। जहाँ हिन्दुओंके धर्मग्रन्थोंकी बात है, मैं विश्वासपूर्वक लिख सकता हूँ और मैं यह दावेके साथ कहता हूँ कि एक हिन्दूका यह कर्त्तव्य है कि वह अपने-आपको कुकर्मीसे अलग कर ले, अर्थात् वह उसके कुकर्ममें भाग न ले और न उसे समर्थन ही दे। प्रह्लादने अपने पिताके कुकर्मोसे अपने-आपको विलग कर लिया। देवी सीताने रावणकी सेवाएँ अस्वीकार कर दीं। भरतने अपनी माता कैकेयीके कुकृत्योंकी भर्त्सना की और उसने दुष्टतापूर्वक उनके लिए जो सिंहासन प्राप्त किया था, उसपर बैठनेसे इनकार कर दिया। 'बाइबिल' के सम्बन्धमें मैं विश्वासपूर्वक कुछ नहीं कह सकता। लेकिन उसे जिस रूपमें मैंने समझा है, उससे तो हिन्दू धर्मग्रन्थोंके मेरे अध्ययनसे निकाले गये निष्कर्षोकी स्पष्टतः पुष्टि ही होती है। ईसा, भटियारों और पापियोंसे न तो उनके आश्रित और न उनके संरक्षक बनकर ही मिले-जुले। वे तो उनकी सेवा करने तथा उनके जीवनको सत्य और शुचितामें प्रवृत्त करनेके उद्देश्यसे ही उनमें मिले-जुले। लेकिन जहाँके लोगोंने उनकी बात नहीं सुनी, वहाँ वे दुबारा नहीं फटके। मैं शर्मनाक और बुरा जीवन बितानेवाले अपने पुत्रको भी किसी प्रकारका सहारा न देना अपना फर्ज समझता हूँ। प्रबुद्ध असहयोग व्यथित प्रेम भावनाकी अभिव्यक्ति है। मेरे इन सम्मानित पत्र लेखकने बुराईसे अलग रहना और सेवार्थ बुरे लोगोंके बीच रहना——इन दोनों बातोंको एक ही मान लिया है। क्या ईसा सूदखोरोंसे उपहार स्वीकार करते, उनसे अपने मित्रोंके लिए छात्रवृत्तियाँ लेते और उन्हें उनके जघन्य व्यापारमें लगानेके लिए अनुदान देते? पाखंडियों, फैरिसियों और 'सदूसियों' की[१] क्या उन्होंने केवल मौखिक भर्त्सना ही की? क्या उन्होंने सचमुच लोगोंको उनसे सावधान रहने और बचनेकी सलाह नहीं दी है? लेकिन श्री गिलिस्पीका खयाल है कि मैंने सरकारको शैतान कहकर उसके प्रति अन्याय किया है। हमारे दृष्टिकोण भिन्न होनेका कारण सम्भवतः यही है। जो सरकार फरेब, खूँरेजी और मनमानी क्रूरताका व्यवहार करनेकी अपराधी है, जो सरकार अभीतक अपने कियेपर पश्चात्ताप करनेको तैयार नहीं है, जो उल्टे अपने अपराधको ढँकनेके लिए झूठका सहारा लेती है, उस सरकारको अगर मैं शैतानकी सरकार न कहूँ तो मेरे खयालसे यह सत्यसे पलायन होगा। मैं सचमुच यह मानता हूँ कि जिस सरकारने अपने अधीनस्थ लोगोंके लिए ऐसा कुछ नहीं किया जिसके लिए वे उसके आभारी होते, उस सरकारके आडम्बरोंकी सही शब्दोंमें भर्त्सना करके मैं मित्रका ही धर्म निभा रहा हूँ।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १९–१–१९२१

 
  1. यहूदियोंका एक वर्ग जो भूत-प्रेत और अन्य परम्परागत मान्यताओंका निषेध करता था।