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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लोगोंने अहिंसाको छोड़ दिया तो आन्दोलनका सफल होना सन्देहास्पद हो जायेगा। किन्तु मुझे लोगोंपर पूरा विश्वास है। मैं स्वराज्यको जीतनके लिए पशु-बल नहीं बल्कि आत्मबल प्राप्त करना चाहता हूँ। प्रसंगवश उन्होंने यह भी कहा कि चलती हुई मोटरगाड़ीके सामने लेट जाना भी हिंसाका कार्य होगा। यदि आप वास्तविक जनतन्त्र चाहते हैं तो आपको इस प्रकारकी हिंसाका उपयोग नहीं करना चाहिए। यदि कौंसिलोंके सदस्य त्यागपत्र नहीं देते और वकील अपनी वकालत नहीं छोड़ते तो कोई हानि नहीं, किन्तु यदि आप लोग अहिंसाका अनुसरण नहीं करते तो यह स्वराज्य प्राप्तिके ध्येयके लिए घातक होगा।

चरखके प्रश्नको उठाते हुए उन्होंने कहा कि यदि आप सचमुच उस ६० करोड़ रुपयेको जो प्रतिवर्ष हमारे देशसे बाहर चला जाता है, बचाना चाहते हैं तो मुझे आशा है कि हर घर चरखा अपनायेगा। इसके बाद श्री गांधीने सहायताकी अपील की और बताया कि आज उन्हें चन्देमें काफी रकम प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा इस सभाका मुख्य उद्देश्य चन्दा एकत्र करना था, और यह आशा व्यक्त की कि आज दोपहरको होनेवाली हर सभामें लोग खुशीके साथ धन देंगे।

[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका, २–२–१९२१

 

१५२. भाषण : कलकत्ताके विलिंग्डन स्क्वेयरमें[१]

१ फरवरी, १९२१

श्री गांधीने हिन्दीमें[२] भाषण देते हुए कहा कि कलकत्तेमें आज सुबह जो कुछ हुआ उसके बारेमें आप सुन ही चुके हैं। आप यह भी सुन चुके हैं कि इस परिस्थितिमें आपका कर्त्तव्य क्या होना चाहिए। कहा जाता है कि परिषद् आपकी अपनी है और उसके सदस्य आपके अपने प्रतिनिधि हैं। मैं कहना चाहता हूँ कि न तो परिषद् आपकी है और न उसके सदस्य ही आपके प्रतिनिधि हैं। इसलिए आपको चाहिए कि आप इन सदस्योंसे कोई राजनीतिक सहायता न लें। यदि आपका विश्वास है कि परिषद् प्रातिनिधिकताका गुण नहीं है और यदि आप स्वराज्य प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको बहुत कुछ करना होगा। आपके सामने अत्यन्त कठिन कार्य आ पड़ा है। यदि आप ऐसा सोचते हों कि सभाओंमें प्रस्ताव पास करके आपने अपना कर्त्तव्य पूरा कर लिया है तो यह गलत है; इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। तो फिर आपको क्या करना चाहिए? इस प्रश्नका उत्तर कई बार दिया जा चुका है। आप सबको अहिंसा

  1. यह भाषण मौलाना अबुल कलाम आजादको अध्यक्षतामें हुई सभामें दिया गया था।
  2. मूल हिन्दी भाषण उपलब्ध नहीं है।