पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 19.pdf/३६५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

१६३. भाषण : पटनामें[१]

६ फरवरी, १९२१

महात्मा गांधीने बैठे-बैठे भाषण शुरू करते हुए कहा : मुझे इस बातकी बड़ी लज्जा है कि मैं और मौलाना मजहरुल हक इंग्लैंडमें साथ-साथ रहे और भारत लौटते हुए भी हम एक ही जहाजमें[२] थे; फिर भी मैं इसे भूल गया। जब मुझे इस बातकी याद दिलाई गई तब मुझे स्मरण आया। लेकिन मुझे प्रसन्नता है कि दक्षिण आफ्रिकासे भारत वापस आ जानके समयसे लेकर मौलाना मजहरुल हकके साथ मेरी मित्रता लगातार बढ़ती रही और दरअसल मैं पटनामें उनके घरको अपना ही घर मानता हूँ। उन्होंने आपको बताया है कि खिलाफतके मामलेमें सबसे पहले मैंने आवाज उठाई थी। यदि यह बात सच है तो इस तरह मैंने केवल अपना कर्त्तव्य ही निभाया है। चूँकि मैं एक पक्का हिन्दू हूँ और अपने धर्मके अनुसार जीवन बिताना चाहता हूँ, इसलिए मैंने यह अनुभव किया कि मुझे मुसलमानोंके प्रति मैत्रीभाव रखना ही चाहिए। मुझे उनके धर्मका साथ देना चाहिए और अपने धर्मकी तरह ही उनके धर्मकी रक्षा करनी चाहिए। मैं आपको फिर विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि जबतक खिलाफतके अन्यायका सन्तोषजनक रूपसे निराकरण नहीं हो जाता तबतक मुझे सन्तोष नहीं होगा, भले ही इस प्रयत्नमें मुझे अपने प्राण ही क्यों न देने पड़ें। मौलाना मजहरुल हकने आपको यह बताया है कि इस राष्ट्रीय महाविद्यालयका उद्घाटन करके हम स्वराजयकी नींव डाल रहे हैं। मेरे मित्र श्री हकने इस महाविद्यालयकी स्थापना कर दी है। मैं तो सिर्फ औपचारिक रस्म पूरी कर रहा हूँ। मैंने आज प्रातः जब छात्रोंको श्रद्धापूर्वक प्रार्थना करते हुए देखा तो मेरे मनमें यह प्रश्न उठा कि क्या हमारे किसी सरकारी कालेजमें इस तरहकी प्रार्थना की जाती है। मुझे खयाल आया कि अब हमारे भीतर एक उचित भाव पैदा हो रहा है। मुझे राष्ट्रीय महाविद्यालय और राष्ट्रीय विश्वविद्यालय दोनोंका उद्घाटन करना है। विद्यापीठ हमारे राष्ट्रीय विश्वविद्यालयका काम देगी। यह प्रान्तकी राष्ट्रीय संस्थाओंमें शिक्षणको नियन्त्रित करेगी, पाठ्यक्रम निर्धारित करेगी और सामान्यतः राष्ट्रीय शिक्षाका संचालन करनेका साधन होगी। हमने मौलाना हकको कुलपति, बाबू ब्रजकिशोर प्रसादको उपकुलपति और बाबू राजेन्द्र प्रसादको प्रधानाचार्य एवं कुल-सचिव (रजिस्ट्रार) चुना है। प्रान्तीय महाविद्यालय शिक्षा-समितिके[३] सदस्य इसकी सीनेटके सदस्य होंगे और अभिषद् (सिंडीकेट) उन्होंमें से

  1. यह भाषण बिहार राष्ट्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महाविद्यालय, पटनाके उद्घाटन समारोहके अवसरपर दिया गया था।
  2. सन् १८९१ में।
  3. बिहारमें कांग्रेस द्वारा नियुक्त समिति।

१९–२२