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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

है, जबतक आप लोग सरकारी नौकरी कर रहे हैं तबतक ईमानदारीसे अपना काम करें। सम्भवतया यहाँ एक थाना भी होगा और इस समय यहाँ कुछ पुलिसके कर्मचारी भी उपस्थित होंगे। मेरा उनसे भी यही अनुरोध है कि लोगोंसे, जो उनके अपने ही भाई-बन्धु हैं, विनम्रता और स्नेहका व्यवहार करें और उन्हें किसी प्रकार सतायें नहीं। हमारे पास इतना धन नहीं है कि हम लोगोंसे अपनी-अपनी नौकरी छोड़नेके लिए कहें और फिर उन्हें भोजन दे सकें। पर मैं उनसे अपने कामपर बने रहकर भी ईश्वरके सेवक बननेके लिए कहूँगा। अपने इस दुहरे उद्देश्यकी पूर्तिके लिए हमने असहयोग शुरू किया है। आपको शान्तिपूर्वक उसे अपनाना चाहिए। इस सरकारका शासन पैशाचिक हो गया है। पर खुदाने भी शैतानको मौतके घाट नहीं उतारा था और हमें भी शैतानको मौतके घाट नहीं उतारना है। यदि [सरकारी] कर्मचारियोंके पास अपनी गुजर-बसर करनेके लिए पर्याप्त धन है तो उन्हें एकदम नौकरी छोड़ देनी चाहिए; अन्यथा नहीं। यदि कोई [सरकारी] कर्मचारी नौकरी छोड़ देना चाहता है तो वह फौरन छोड़ दे। क्योंकि स्वतन्त्र हुए बिना हम ईश्वरकी अर्चना आदि भी नहीं कर सकते। जो नौकरी कर ही रहे हैं वे चाहे तो बने रहें पर भविष्यमें और लोग भरती न हों। आप मद्यपान, सिगरेट या चोरी आदि सब छोड़ दें और पर-स्त्रीकी भी इच्छा न रखें। जो इन दुर्व्यसनोंसे ग्रस्त हैं उन्हें कभी धर्मात्मा नहीं माना जा सकता। असहयोगमें भयको कोई स्थान नहीं है। देशमें बनी हुई चीजों और चरखेको काममें लायें। हिन्दू-मुस्लिम एक हों। आप अपने झगड़ोंका निर्णय पंचायतोंसे करायें। यदि आप मेरी सलाह मानेंगे तो हमें सितम्बर तक स्वराज्य मिल सकता है। इसके लिए आप धन भी दें क्योंकि हमें उसकी आवश्यकता है।

[अंग्रेजीसे]

पुलिस एब्स्ट्रैक्ट ऑफ इन्टेलिजेंस, पंजाब, सं॰ १

 

१८४. भाषण : गुजराँवालामें[१]

१९ फरवरी, १९२१

भाषण देनेसे पूर्व महात्मा गांधीने उपस्थित जनसमूहसे अनुरोध किया कि आप लोग कृपया शान्त रहें ताकि मेरी आवाज सब तक पहुँच सके, आप लोग बातें न करें, न ही सिगरेट आदि पीयें। महात्माजीने कहा, 'जब मैं भिवानी और रोहतकमें था तब मद्यपान, धूम्रपान और अन्य मादक पदार्थोंके उपयोगके विरुद्ध प्रस्ताव पास किये गये थे। आप लोगोंको भी ऐसा ही व्रत लेना चाहिए और जितेन्द्रिय बनना चाहिए। सभी स्त्रियों माँ या बहनके समान आदर करना चाहिए और मन, वचन और

  1. लाहौरमें राजद्रोह सभा-विधेयक लागू कर दिये जानेके कारण गांधीजी भाषण नहीं दे पाये थे। इसलिए गुजराँवालामें उनका भाषण सुननेके लिए हजारों व्यक्ति लाहौर आदि स्थानोंसे आये थे।