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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


आपका खयाल है कि मैं औरोंकी अपेक्षा एक उच्चत्तर स्थितिमें हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मुझे इसका कोई भान नहीं है। हाँ, मैं एक ज्वालामुखीकी चोटीपर अवश्य हूँ, जिसे मैं अदहनशील दृढ़ चट्टानमें बदलनेका प्रयत्न कर रहा हूँ। यह भी हो सकता है कि मेरे कामयाव होनेसे पहले ही वह किसी क्षण फूट पड़े। लेकिन ऐसी सम्भावनाएँ, दुर्भाग्यवश, सुधारकोंके भाग्यमें रहती ही हैं।

मेरे आदर्शवादसे आप चिन्तित हैं। यदि आपने मेरे लेखोंको पढ़नेका कष्ट किया होता, तो आपको मालूम होता कि वह अत्यन्त व्यावहारिक है।

आपने यह अनुमान सही लगाया है कि मूलतः मैं सहयोगी हूँ। जब लगभग तीस वर्षोंसे मैं यही रहा हूँ तब और कुछ मैं हो भी कैसे सकता था? मैं निश्चय ही इस प्रतीक्षामें हूँ कि अवसर मिले और मैं सहयोग करूँ, किन्तु विश्वास कीजिए, वह सहयोग तबतक नहीं दिया जायेगा, जबतक अंग्रेज लोग मुसलमानोंकी भावनाके अनुसार खिलाफतकी शर्तोंको तय करनेकी आवश्यकता अनुभव नहीं करते, जबतक वे पंजाबको सोच-समझकर पहुँचाई गई यातनाके लिए पश्चात्ताप नहीं करते, और जबतक वे अपने-आपको हमारे संरक्षक और शासक समझना नहीं छोड़ते। भारतीय अंग्रेजोंको अपने मित्र, साथी, कार्यकर्त्ता तथा बराबरीके साझेदारोंकी नाई खुशी-खुशी भारतमें रखेंगे; किन्तु यदि वे अपने निजी लाभके लिए हमारे देशका शोषण करना चाहते हैं, तो फिर यदि उनसे बने, वे ऐसा करें; किन्तु ऐसा उन्हें हमारे सहयोगके बिना ही करना होगा।

मुझपर सत्यसे विचलित होने का अपराध लगाना आपने उचित समझा है। यहाँ भी दोष आपके विस्मयजनक अज्ञानका है। आपको यह सूचना ठीक मिली कि मैंने कच्चागढ़ीकी घटनासे सम्बन्धित वक्तव्यपर विश्वास किया था। यह ऐसे व्यक्तियोंने शपथपूर्वक दिया था जिनपर अविश्वास करनेका मेरे पास कोई कारण नहीं था। किन्तु ज्यों ही मुझे उसका प्रतिवाद प्राप्त हुआ, मैंने उसे अपने हस्ताक्षर सहित प्रकाशित किया था। मैं आपका ध्यान 'यंग इंडिया' के अंकोंकी ओर आकर्षित करता हूँ। अन्तमें, मेरा अनुरोध है कि आप असहयोग आन्दोलनका अध्ययन करने तथा उसे समझने का प्रयत्न करें। आप देखेंगे कि उसकी भावना अंग्रेज विरोधी नहीं है। वह एक धार्मिक आन्दोलन है और आत्मशुद्धिका आन्दोलन है। वह एक ऐसा आन्दोलन है, जिसका उद्देश्य है अन्याय, असत्य, आतंकवादका विरोध करना, तथा भारतवर्षमें स्वराज्यकी स्थापना करना। आप मानेंगे कि पारस्परिक अविश्वास तथा भयके स्थानपर विश्वास तथा निर्भयताकी स्थापना करना ज्यादा अच्छी बात है।

यह आन्दोलन उस दुःखद स्थितिको समाप्त करनेका प्रयास है। मैं इस प्रयत्नमें आपका सहयोग चाहता हूँ।

आपका विश्वस्त,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २३-२-१९२१