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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जाते हैं, इससे आपको धोखेमें नहीं रहना चाहिए। उन्होंने जालन्धरके लोगों द्वारा खद्दरकी थैलीमें ६२९ रुपये भेंट किये जाने और सरदार केसरसिंह द्वारा १०० रुपये दिये जानेपर हर्ष व्यक्त किया। महात्माजीने इस बातपर प्रसन्नता प्रकट की कि मानपत्र उर्दूमें था। उन्होंने भारतीयों द्वारा अपने निजी जीवनमें भी अंग्रेजीका व्यवहार किये जानेपर खेद प्रकट किया और कहा कि मैं अंग्रेजीका शत्रु नहीं हूँ, फिर भी हम जबतक राष्ट्रभाषाको नहीं अपनायेंगे तबतक हमें स्वराज्य नहीं मिल सकता। उन्होंने और धनकी अपील करते हुए कहा कि जो रुपया भेंट किया गया है वह पर्याप्त नहीं। इससे लाला लाजपतरायको सन्तोष नहीं होगा। उन्होंने प्रार्थना की कि अधिक रुपया भेजा जाये जिससे स्कूलों और कालेजोंका राष्ट्रीयकरण किया जा सके। उन्होंने [स्त्रियोंके] जेवर पहननेका विरोध किया और वकीलोंसे अनुरोध किया कि वे वकालत बन्द कर दें और एक वर्षतक देशकी सेवा करें। उन्होंने समस्त स्त्री-पुरुषोंसे खद्दर इस्तेमाल करनेका अनुरोध किया।

[अंग्रेजीसे]
ट्रिव्यून, ९-३-१९२१

 

२०८. भाषण : होशियारपुरमें

८ मार्च, १९२१

महात्माजीने अपने भाषणमें कहा : मुझे खेद है कि मौलाना शौकत अली, जो मेरे भाई हैं और मेरे कार्यमें भाग ले रहे हैं, नहीं आ सके। मैं पक्का सनातनी हूँ और शौकत अली पक्के मुसलमान, लेकिन फिर भी हम भाई-भाईकी तरह हैं। इससे प्रकट होता है कि हिन्दुओं और मुसलमानोंकी एकता सम्भव है। होशियारपुरमें हाथसे कपड़ा बनानेके कारखाने हैं, इसके लिए मैं होशियारपुरके लोगोंको बधाई देता हूँ। लेकिन मुझे खेद है कि फिर भी लोग विदेशी कपड़े पहने हैं। पुरुष और स्त्रियाँ अपने लिए सूत कातें और कपड़ा बुनें, इसमें कोई लज्जाकी बात नहीं। किसीको मार डालनेमें कोई बहादुरी नहीं है। ननकाना साहब काण्डमें जिनका हाथ था उनकी निन्दा की गई है, जब कि जो लोग शहीद हुए हैं, जिन्होंने सत्य और राष्ट्रकी खातिर अपने प्राण न्यौछावर करनेका साहस दिखाया है, उनके प्रति सम्मान प्रकट किया गया है। सम्मान उनके प्रति नहीं दिखाया गया है, जिन्होंने वध किया था। सब धर्मोके लोगोंने यह तय किया है कि खिलाफत और पंजाबके अन्यायोंका निराकरण करवानेके लिए ८ महीने में स्वराज्य ले लेना चाहिए। स्वराज्य केवल अहिंसात्मक असहयोगही से लिया जा सकता है। ओ'डायर और डायरकी पेन्शनोंको बन्द करवाना हमारा कर्त्तव्य है। यह कार्य केवल स्वराज्य लेकर ही किया जा सकता है। हमें स्वराज्य