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भाषण : बरहामपुरकी सार्वजनिक सभामें


उन्होंने गोखलेके कठोर परिश्रमका उल्लेख करते हुए कहा : गोखले स्वभावसे मित- व्ययी थे और वे राष्ट्रके हर क्षणका सदुपयोग करना चाहते थे । ईश्वरसे मेरी प्रार्थना है कि बरहामपुर नगरपालिका प्रगति करे। मुझे आशा है कि वह राष्ट्रके उत्थानमें पूरा योग देगी।

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, १-४-१९२१

२४९. भाषण : बरहामपुरकी सार्वजनिक सभामें

२९ मार्च, १९२१

गांधीजीने इस बातपर पुनः खेद प्रकट किया कि मद्रासी लोग हिन्दुस्तानी नहीं समझ पाते, जिसका प्राथमिक ज्ञान प्राप्त करना उनके विचारसे, कठिन नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब ऐसा वक्त आ गया है जब हिन्दीको सुशिक्षित वर्गों तक ही सीमित न रहकर आम लोगोंमें भी फैलना चाहिए। उन्होंने आन्ध्र और उड़ि- या लोगोंके बीच बरहामपुर जिलेकी समस्याका उल्लेख किया और कहा कि यह समस्या राजनयिकोंको शोभा देनेवाली उदारता और भारतीय ढंगसे हल की जानी चाहिए।[१] उन्होंने जोर देकर कहा कि इस समस्यामें आम लोगोंको कोई दिलचस्पी नहीं है। यद्यपि मैं भाषाके आधारपर प्रान्तोंके विभाजन और उनके विकासके पक्षमें हूँ, तथापि इससे यदि राष्ट्रकी प्रगतिमें रुकावट पड़े तो निश्चित रूपसे मैं इसका विरोधी हूँ । स्वतन्त्रताका युद्ध पृथ्वीपर सबसे बलवान लोगोंके साथ कानूनी समानताका दर्जा पाने- का युद्ध है। स्वराज्य प्राप्त करनेमें जो कठिनाइयाँ हैं, उन्हें मैं अच्छी तरह जानता हूँ, परन्तु मेरा खयाल है कि हम जिस परीक्षासे गुजर रहे हैं, उसके चन्द बचे हुए महीनोंमें हममें आत्मविश्वासका अभाव दूर हो जायेगा । मुझमें भारतके लिए प्राण देनेकी सामर्थ्य होनी चाहिए, मुझे उसके अपमानका साक्षी बनकर नहीं जीना चाहिए। उन्होंने लोगोंको समझाया कि अगर हम अपने लिए नहीं, बल्कि देशके विचारसे तत्काल अपना-अपना घर-बार दुरुस्त कर लें और जिलेके बँटवारे-जैसी समस्याएँ सुलझा लें, तो मैं कहूँगा कि हम स्वराज्य तुरन्त ही प्राप्त कर लेंगे। उन्होंने खिलाफतपर आये संकटका उल्लेख किया और लोगोंको स्मरण दिलाया कि इन तमाम वर्षोंमें हिन्दू-धर्म भी संकटमें रहा है। उन्होंने इस बातपर जोर दिया कि पंजाबके साथ किये गये अन्या- योंका परिमार्जन होना चाहिए। चूँकि राष्ट्रीय जागृतिने नवीन साहसको जन्म दिया है, इसलिए यदि कहीं अब फौजी कानून फिरसे लागू किया जाये तो कोई भारतीय पेटके बल नहीं रेंगेगा। उन्होंने आग्रहके साथ कहा कि असहयोग स्वराज्य पानेका एक उपाय है। मुझे इससे कोई मतलब नहीं कि स्वराज्यकी योजना कैसी बनती है।


  1. १. उन दिनों भाषाके आधारपर बरहामपुर जिलेके पुनर्विभाजनकी बात चल रही थी। इसी दिन दोपहर में गांधीजी दोनों भाषा-भाषी लोगोंके शिष्टमण्डलोंसे मिले थे