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भाषण : एलौरमें


हमारे गाँवोंमें होनी चाहिए। जिस प्रकार आप लोगोंकी निगाहमें बम्बईमें पकाई गई रोटी खाना पाप है उसी प्रकार बम्बईकी मिलों द्वारा बनाया गया कपड़ा पहनना भी आपके लिए पाप होना चाहिए । बम्बई और अहमदाबादको उन अत्यन्त गरीब लोगोंके लिए कपड़ा बनाने दें जिनके लिए स्वदेशीका व्रत लेना सम्भव नहीं है। आप लोगोंमें जो अधिक समझदार हैं उनको चाहिए कि वे अपने लिए सूत न कातना तथा उसका कपड़ा बुनवाना अपराध ही मानें । मुझे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई है कि और प्रान्तोंकी अपेक्षा इस प्रान्तमें बहुत बढ़िया सूत कातकर उसे अपने बुन- करोंकी खड्डियोंपर बुनवाकर अच्छे किस्मका कपड़ा तैयार कराया जा सकता है। मैं यह भी आशा करता हूँ कि राष्ट्रीय महाविद्यालयके शिक्षक तथा न्यासीगण यह याद रखेंगे कि तमिल और तेलुगू लोगोंने हिन्दुस्तानी न सीखकर अपनेको भारतसे विच्छिन्न कर लिया है। श्रोताओंके इस विशाल जनसमूहके सामने, जो अंग्रेजीका एक भी शब्द नहीं समझता, मुझे मजबूरन अंग्रेजीमें बोलना पड़ रहा है, और इस बातसे मेरा सिर नीचा हो रहा है। मैं चाहता हूँ कि आप लोग भी इस बातको शर्मनाक समझें कि आपमें से एक भी व्यक्ति मेरी सरल और टूटी-फूटी हिन्दुस्तानीका अपनी भाषामें अनुवाद नहीं कर सकता।

किन्तु मैं अब दूसरे विषयोंकी ओर आता हूँ। मैंने राजमहेन्द्रीमें एक महत्वपूर्ण विषयपर अपने विचार पूरी तरह प्रकट किये थे और आशा करता हूँ कि कोई तेलुगू मित्र उस भाषणको भाषान्तरित करके प्रकाशित करायेगा तथा वह हमारे सैकड़ों देश- वासियोंके बीच वितरित होगा। कल रातको १० बजे कोकोनाडामें कुछ गणिकाएँ मुझसे मिलने आईं। उनका जीवन कैसा है इस बातका पूरा पता मुझे उसी समय लगा; और मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि मैं धरतीमें समाया जा रहा हूँ। आपसे मेरा निवे- दन है कि आप उस कलंक या पापको अपने बीचसे निकाल बाहर करें। यह उचित नहीं कि हमारी वासनापूर्तिके लिए एक भी बहनको लज्जापूर्ण तथा पतित जीवन बिताना पड़े। शुद्धीकरणके इस आन्दोलनमें हमारा यह पावन कर्त्तव्य है कि हम इन बालाओंको अपनी बहनें और बेटियाँ समझें। जिनके हृदयोंमें इस उद्धत सरकार द्वारा हमारे प्रति की गई हिंसासे टीस होती हो वे भारतकी एक भी बालिकाके जीवनको बरबाद करके उस हिंसाको और अधिक न बढ़ायें। मैं आप भाइयों और बहनोंसे कहता हूँ कि आप मुझे यथासम्भव शीघ्र ही यह खबर दें कि देशके इस भागमें अब एक भी गणिका नहीं है। जो बहनें पीछे बैठी हैं मैं उन्हें यह कार्य सौंपता हूँ कि वे घूम-घूमकर हर गणिकाका पता लगाएँ और इस पापमें रत पुरुषोंको शर्मिन्दा करके उन्हें इस मार्गसे निवृत्त करें।

हम इसे शुद्धीकरणका आन्दोलन कहते हैं; हम इसे धार्मिक आन्दोलन भी कहते हैं। हम इस सरकारको आसुरी सरकार कहनेका साहस करते हैं, हम इसकी तुलना रावण-राज्यसे करते हैं। हम अपने भावी राज्यके बारेमें धार्मिक दृष्टिसे सोचते हैं और इसीलिए आनेवाले स्वराज्यको हम उत्साहके साथ धर्म-राज्यके नामसे पुकारते हैं। हम अपनेको तथा अपने देवताओंको धोखा न दें और इस प्रकार ईश्वरके शापके पात्र न बनें; हम किसी भी व्यक्तिको अस्पृश्य न मानें । अपने ही एक वर्गको हम कोढ़ी समझते हैं