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२६७. अस्पृश्यताके सम्बन्ध में शंका

अस्पृश्यताके बारेमें अनेक लोगोंके मनमें अनेक प्रकारकी शंकाएँ उठती हैं। कोई एक तरहसे तो कोई दूसरी तरहसे उसका पक्ष लेनेकी कोशिश करता है। प्रत्येक ऐसे रिवाजके बारेमें, जो जड़ पकड़ चुका हो, यही होता है। कोई भी रिवाज आसा- नीसे कभी नहीं मिटा; वह तभी मिटा है जब उसका [कड़ा ] विरोध किया गया है। हम देखते हैं कि शराब आदि पीनेकी कुटेवोंका भी समर्थन किया जाता है। कितने ही ऐसे लोग पड़े हैं जो शराब पीनेको धर्मतक मानते हैं। फिर अस्पृश्यताकी तो बात ही क्या ? एक महानुभावने निम्नलिखित तीन प्रश्नोंका उत्तर देनेको कहा है :

१. भंगी और चमारका धन्धा ही मैला है और जिसने इस धन्धेको अपना लिया है उसपर उसका इतना सूक्ष्म असर होता है कि भले ही वह नित्य स्नान करे तो भी वह साफ नहीं होता; उसके शरीरके कण-कणमें मैला व्याप्त हो चुका होता है। इसलिए उसका स्पर्श सर्वथा वर्जित होना चाहिए।

२. डाक्टर आदि जो मैला काम करते हैं, भंगीका धन्धा उस अर्थमें मैला नहीं है। डाक्टर निरन्तर ऐसा काम नहीं करते और करते हैं तो वैसा काम करने के बाद साफ हो जाते हैं।

३. ढेढ़-भंगी जबतक अपने धन्धेका सर्वथा त्याग नहीं कर देते तबतक उनको कदापि स्पर्श नहीं किया जा सकता ।

उपर्युक्त दलीलें कुछ नये प्रकारकी हैं। एक पक्ष यह कहता है कि अगर "अस्पृश्य " नहाने-धोने लगें तो फिर कुछ कहनेको नहीं रह जाता। किन्तु यहाँ कहना यह है कि भंगीके शरीरमें ही मैल घर कर गया है; इससे हम उसे चाहे कितना ही क्यों न धोयें वह अस्पृश्य ही बना रहेगा।

दोनों पक्षोंकी भूलको कमसे-कम मैं तो स्पष्ट देख पाता हूँ। हमें भंगी आदिको न छूनेकी आदत पड़ी हुई है। इसके अतिरिक्त उसे धर्मका स्वरूप प्रदान कर दिया गया है। इसलिए अब उन्हें छूनेकी इच्छा ही नहीं होती। इसलिए हमें हर तरहसे अपनी आदतका समर्थन करना भाता है। मेरी अल्प बुद्धिके अनुसार तो भंगीपर जो मैल चढ़ता है वह शारीरिक है और उसे आसानीसे दूर किया जा सकता है। लेकिन जिन- पर असत्य, पाखण्ड इत्यादिका मैल चढ़ा हुआ होता है वह बहुत सूक्ष्म होता है और उसे निकालना बहुत ही मुश्किल होता है। यदि किसीको अस्पृश्य माना जा सकता हो तो असत्य और पाखण्डसे भरे हुए लोगोंको ही । लेकिन उन्हें अस्पृश्य कहनेकी हम लोगोंकी हिम्मत नहीं होती क्योंकि कम या अधिक ऐसा मैल हम सभीमें है। हम यदि वैसा करने बैठें तो वह संसारके काजी बननेके समान होगा। और हम स्वयं अस्पृश्य बन जायेंगे। इस सच्ची मलिनतासे छुटकारा पानेके लिए हमारे पास धीरज और आन्त- रिक स्वच्छताके सिवाय दूसरा कोई उपाय नहीं है। लेकिन भंगीकी मलिनता उसके Gandhi Heritage Portal