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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


बलबूतेपर अकेले ही संचालित करें, और अपनी शक्ति-भर यहाँ हमारी भी सहायता करें। भारतके भाग्यका निपटारा इधर या उधर (और जहाँतक मैं समझता हूँ, हमारे पक्षमें) इसी वर्षके अन्दर निश्चयपूर्वक हो ही जाना चाहिए। आजकी अपेक्षा, तब हम उनकी रक्षा अधिक अच्छी रीतिसे कर सकेंगे।

किन्तु दक्षिण आफ्रिकाकी समस्याका स्वरूप वही है जो हमारे देशकी समस्या- का है। हम भी तो गोरोंकी श्रेष्ठताके सिद्धान्तसे लोहा ले रहे हैं। मुसलमानोंके दावेको स्वीकार करनेसे इनकार करना, अरबोंकी घेराबन्दी करना, अमीरसे[१] समझौतेकी वार्ता करना, सर माइकेल ओ'डायर तथा जनरल डायरकी पेन्शनें बन्द करनेसे इनकार करना और जिन्होंने १९१९ में पंजाबियोंके साथ दुर्व्यवहार किया था उन्हें बर्खास्त करनेसे साफ इनकार करना : ये सब उसी रोगके लक्षण हैं। या तो उस श्रेष्ठताका खयाल पूरी तरह खत्म हो जाना चाहिए और या फिर हममें से जो लोग इस रोग के संक्रामक रूपको पहचानते हैं, उन्हें चाहिए कि वे उससे लड़ते हुए काम आयें । भारत सरकार यदि चाहे तो आयोगके इस निर्णयमें निहित विश्वासघात के विरुद्ध मुस्तैदीसे खुली लड़ाई लड़ सकती है। १९१८ के समझौतेका भाव यह था कि समूचे दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंकी स्थितिकी विषमता दूर कर दी जाये, और किसी भी मौजूदा अधिकारपर कोई आँच न आने दी जाये । आयोगने, वर्तमान अधिकारोंका जो अति- क्रमण किया जा चुका है उसपर अपनी मुहर तो लगाई ही है, साथ ही स्वयं भी इनमें और बड़े पैमानेपर कटौती करनेका सुझाव दिया है। ऐसी अधिकृत घोषणासे, स्वतन्त्र राष्ट्रोंके सम्बन्ध खुले तौरपर टूट सकते हैं। आयोगके प्रतिवेदनका परिणाम यही हो सकता है कि मेरी असहयोगकी भावना और भी अधिक सक्रिय हो उठे।

स्वराज्यका अर्थ

दक्षिण आफ्रिकासे एक मित्र लिखते हैं कि वहाँके अनेक यूरोपीय स्वराज्यके संघर्ष में सहायता करनेको तैयार हैं, किन्तु वे कुछ विषयोंके बारेमें आश्वस्त होना चाहते हैं। चूंकि उनके द्वारा उठाये गये प्रश्न सार्वजनिक महत्वके हैं अतः मैं यहाँ उनकी चर्चा कर रहा हूँ ।

(१) श्री गांधी के स्वराज्यका अर्थ सम्पूर्ण प्रभुतासम्पन्न स्वतन्त्रता है,

अथवा साम्राज्यके अन्तर्गत डोमीनियनकी तरहका पूर्ण उत्तरदायी शासन ?

मैं अवश्य ही उपनिवेशोंकी तरहके पूर्ण उत्तरदायी शासनसे सन्तुष्ट हो जाता, बशर्ते कि खिलाफत और पंजाबमें हुए अन्यायोंका निवारण किया गया होता। यदि साम्राज्य इन दो अन्यायोंका निवारण नहीं कर सकता तो भारत साम्राज्यके अन्तर्गत नहीं रह सकता । यदि भारत ऐसे अधिकारियोंको जिन्होंने उसके प्रति अन्याय किया है पेन्शन देनेसे इनकार भी नहीं कर सकता, अथवा यदि हम खिलाफतकी शर्तोंके सम्बन्धमें कोई समझौता नहीं कर सकते तो पूर्ण उत्तरदायी शासनका भारतके लिए कोई अर्थ नहीं होगा; वैसी स्थितिमें इंग्लैंड भारतके लिए 'शत्रु देश' हो जायेगा ।


  1. १. अफगानिस्तानके शाह । वार्ताके फलस्वरूप २२ नवम्बर, १९२१ को ऐंग्लो-अफगान सन्धिपर हस्ताक्षर हुए थे।