पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 19.pdf/५७९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५५१
भाषण : मद्रासकी सार्वजनिक सभामें


सम्बन्धी अन्यायको भारतके द्वारा दूर होना है अर्थात् भारतके हिन्दुओं तथा मुसलमानोंके द्वारा ठीक होना है और यदि भारतको इसी सालके अन्दर स्वराज्य हासिल करना है, तो कमसे-कम अपनी मातृभूमिके प्रति हमारा यह कर्त्तव्य जरूर है कि हम हर कीमतपर विदेशी वस्त्रोंका बहिष्कार करें। जैसा कि मौलाना मुहम्मद अलीने अपने कलकत्तेके हाल ही में दिये गये भाषण में कहा है “ १०० वर्ष पूर्व या उससे भी अधिक समय हुआ हमने चरखेको विदा कर दिया और गुलामी मोल ले ली।" इसलिए में प्रस्ताव- के सबसे मुख्य भागकी ओर आप लोगोंका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ जो असहयोगके कार्यक्रमके कई महीनेतक चल चुकनेके पश्चात् अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा पास[१] किया गया था ।

३० जूनसे पहले एक करोड़ रुपया जमा करनेमें हमारा यह मंशा नहीं है कि हम उस रुपयेसे इंग्लैंड, अमेरिका अथवा दुनियाके अन्य किसी भागमें अपना शिष्टमण्डल भेजने या विदेशोंमें प्रचार करनेमें खर्च करेंगे, बल्कि उस राशिको — उससे भी बड़ी राशिको — भारतके प्रत्येक गृहमें चरखेका प्रवेश करानेके लिए खर्च करेंगे। हम उस राशिको इसलिए चाहते हैं कि समस्त द्रविड़ प्रदेशके[२] उन कार्यकर्त्ताओंको भरण-पोषण मात्रके लिए रुपया दिया जा सके जो चरखा प्रचारके कामको हाथमें लेकर कार्यक्षेत्रमें उतरेंगे। अभी उस दिन मैं मसूलीपट्टममें था तथा मुझे आसपासके कुछ ग्रामोंमें जानेका शुभ अवसर प्राप्त हुआ था। उन गाँवोंमें आज भी हमारी बहनें सुन्दर बारीक सूत कातती हैं — धनके लिए नहीं बल्कि प्रेमके कारण (हर्ष ध्वनि) । इसलिए यदि आप इसी सालके अन्दर ही स्वराज्य प्राप्त करनेमें, खिलाफत तथा पंजाबके साथ किये गये अन्यायको दूर करानेमें सहायक होना चाहते हैं तो मैं आशा करता हूँ कि आप इस पवित्र राष्ट्रीय सप्ताह में ही अपने सब विदेशी वस्त्रोंको फेंक देनेका दृढ़ संकल्प करेंगे। मैं अपने मन्दिरों और मस्जिदोंमें विदेशी वस्त्रका एक टुकड़ा भी देखना पाप समझता हूँ। अब मैं अन्य विषयोंपर आता हूँ ।

मुझे यह जानकर खुशी होती है कि हमारा आन्दोलन जितनी ही अधिक उन्नति करता जाता है उतना ही अधिक हमारे देशवासियोंको विश्वास होता जाता है कि हमारी लड़ाईकी सफलता यदि पूरी तौरपर नहीं तो मुख्यतया अहिंसापर निर्भर है। मेरी रायमें हमारी अहिंसा हमारे असहयोग कार्यक्रमका सबसे प्रमुख भाग है। लेकिन हमारी इस अहिंसाको उसपर पड़नेवाले कठिनसे-कठिन दबाव तथा बड़ेसे-बड़े संकटको झेलना होगा। मैंने अभी सुना है कि मलाबारमें किसी स्थानपर एक असहयोगी पिताको अपने पुत्रके प्रति पुलिसके कुछ सिपाहियों द्वारा अकारण ही किया गया हिंसा कृत्य देखना पड़ा। मुझे अब भी आशा है कि यह समाचार गलत है, या मेरे पास यह समाचार लानेवाले सज्जनोंने जो बयान इकट्ठे किये हैं उन्हीं में कोई दोष या कोई भूल रह गई है। लेकिन हमें यह समझ लेना चाहिए कि यह अथवा इसी प्रकारकी अन्य कोई चीज इस शासन-व्यवस्थामें अथवा अन्य किसी सरकारमें असम्भव नहीं हो सकती (हँसी) । इसे हम दो वर्ष पूर्व मार्शल लॉके दिनोंमें पंजाबमें प्रचुर मात्रामें


  1. १. देखिए “ प्रस्ताव : अ० भा० कांग्रेस कमेटीको बैठकमें", ३१-३-१९२१ ।
  2. २. दक्षिण भारत ।