पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 2.pdf/११४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
९२
सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय

बहाने पेश किये जाते हैं वे इतने लचर हैं कि उनपर क्षण-भर ध्यान भी नहीं दिया जा सकता।

एक और अनुदारदलीय सदस्य भी कहता है :

आपकी प्रवृत्ति प्रशंसाके योग्य और माँगें न्यायपूर्ण हैं। इसलिए मैं अपनी शक्ति-भर मदद करने को तैयार हूँ।

इंग्लैंडमें ऐसी सहानुभति जाग्रत हुई है। मैं जानता हूँ कि यहाँ भी हमें वही सहानुभूति प्राप्त है। परन्तु मैं अदबके साथ सोचता हूँ कि हमारे प्रयोजनपर आप और भी ज्यादा ध्यान दें।

भारतमें क्या करने की जरूरत है, यह 'मुस्लिम क्रॉनिकल' ने अपने एक जोरदार अग्रलेखमें बड़ी अच्छी तरह बताया है :

यहाँ, अन्य बातोंके साथ-साथ, जोरदार और समझदार लोकमत है, और सरकार सदाशयी है। फलतः हमें जिन कठिनाइयोंका सामना करना पड़ता है, वे उन कठिनाइयोंके सामने कुछ भी नहीं हैं जो उस देशमें हमारे देशभाइयोंके हितोंमें बाधक हो रही हैं। इसलिए अब समय आ गया है कि तमाम सार्वजनिक संस्थाएँ तुरन्त अपना ध्यान इस महत्त्वपूर्ण विषयकी ओर मोड़ें और हमारे देशभाई जिन कष्टोंमें जीवन-यापन कर रहे हैं, उन्हें दूर करने का आन्दोलन छेड़ने के लिए प्रबुद्ध लोकमतका निर्माण करें। वास्तवमें ये कष्ट इतने असह्य और सन्तापकारी हो गये हैं, और दिन-प्रतिदिन होते जाते हैं कि आवश्यक आन्दोलन छेड़ने में एक दिनका भी विलम्ब नहीं किया जा सकता।

हमारी स्थिति क्या है, मैं जरा ज्यादा साफ शब्दोंमें कह दूं। हम जानते हैं कि जनसाधारणके हाथों हमें जो अपमान और अनादर सहना पड़ता है, उसे सीधे ब्रिटिश सरकारके हस्तक्षेपसे दूर नहीं किया जा सकता। हम उससे ऐसे किसी हस्तक्षेपकी प्रार्थना भी नहीं करते। हम उसे जनताको नजरमें लाते हैं, ताकि सब समाजोंके न्यायप्रिय लोग और अखबार अपनी नापसन्दगी व्यक्त करते रहे, उसकी उग्रता कम कर दें और सम्भव हो तो, आखिरकार उसका अन्त कर दें। परन्तु हम ब्रिटिश-सरकारसे यह प्रार्थना जरूर करते हैं कि वह ऐसी दुर्भावनाओंके कानूनमें उतारे जानेके खिलाफ संरक्षण प्रदान करें, और हमें आशा है कि हमारी यह प्रार्थना व्यर्थ नहीं होगी। हम अवश्य ही ब्रिटिश-सरकारसे प्रार्थना करते है कि उपनिवेशोंकी कानून बनानेवाली संस्थाओंके ऐसे सब कानूनोंका निषेध कर दिया जाये, जो किसी भी रूपमें हमारी स्वतन्त्रतापर प्रतिबन्ध लगानेवाले हों। और इससे मै अन्तिम प्रश्नपर पहुँचता हूँ : उपनिवेशों और सहयोगी राज्योंकी इस तरहकी कार्रवाइयोंमें ब्रिटिश सरकार कहाँतक हस्तक्षेप कर सकती है? जूलूलैंड तो सम्राज्ञीके शासनाधीन उपनिवेश है। उसका शासन गवर्नरके द्वारा सीधे डाउिनग स्ट्रीट [ब्रिटिश सरकार द्वारा होता है। इसलिए उसके बारेमें कोई प्रश्न ही नहीं उठ सकता। नेटाल और केप ऑफ गुड होपके समान