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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय


यह आश्वासन देने के पश्चात् श्री एस्कम्ब अलेक्जेंड्रा-स्क्वेयरमें उस स्थानपर चले गये जहाँ प्रदर्शनकारी एकत्र हुए थे। वहाँ एकत्र लोगोंके सामने भाषण करते हुए उन्होंने उनको विश्वास दिलाया कि इस प्रश्नपर विचार करने के लिए शीघ्र ही संसदका अधिवेशन होगा। उन्होंने उनसे विसजित हो जानेका अनुरोध किया। समितिके कुछ सदस्योंने भी भाषण किये, और अन्त में भीड़ छँट गई। ये भाषण सुनते हुए श्रोताओंने जो आवाजें लगाई थीं और वक्ताओंने जो-कुछ कहा था उनकी कुछ बानगी यहाँ दे देना उपयोगी होगा :

"उनको वापस लौटा दो।" "आप गांधीको तटपर क्यों नहीं लाते?" "डामर और पंख तैयार रखो।" "इन भारतीयोंको वापस लौटा दो।" "यदि हमें भी भारतकी सामाजिक नालियोंके बदबख्त कूड़े-कचरेके साथ एक जगह ठूँसकर रखा गया तो दक्षिण आफ्रिका ब्रिटेनकी मुट्ठी में नहीं रह सकेगा।" (तालियाँ)—डॉ॰ मैकेंजी। "मैं भो कुलियोंको गरदन पकड़कर फेंक देनके लिए सबकी तरह तैयार हूँ। (तालियाँ). . .अब उस गांधीके बारेमें सुनिए। (तालियाँ) आप चाहें तो उसके विरुद्ध चिल्लाते रहिए पर मुझपर इतना भरोसा रखिए कि मैं उसका खास मित्र हूँ। (हँसी) गांधी इन्हींमें से एक जहाजपर है और उसकी सबसे बड़ी सेवा यह होगी कि उसे घायल कर डाला जाये। मेरा खयाल है कि गांधी अपने उद्देश्यके लिए कुर्बान होने और शहीद बनने को बड़ा उत्सुक है। उसको सबसे बड़ी सजा यह दी जा सकती है कि आप उसे अपने साथ रहने दें। वह आपके साथ रहेगा तो आपको उसपर थूकनेका मौका मिलता रहेगा। (हँसी और तालियाँ) आपने उसे खत्म कर दिया तो यह मौका आपके हाथसे जाता रहेगा। मुझपर यदि गलियोंमें हर कोई थूके तो मैं तो फाँसी लगाकर मर जाना पसन्द करूँगा"—डैन टेलर।

भीड़ छँट जानेके लगभग दो घंटे बाद यात्री छोटे-छोटे दलोंमें नावों द्वारा किनारेपर उतरने लगे। श्री गांधीके विषयमें श्री एस्कम्बने समुद्री पुलिसके सुपरिंटेंडेंट को हिदायत दी कि वह जाकर उनसे प्रस्ताव करे कि उनको और उनके परिवारको आज रात चुपचाप उतार दिया जायेगा। श्री गांधीने यह प्रस्ताव धन्यवादपूर्वक स्वीकार कर लिया। परन्तु बादको श्री लॉटन उसी दिन मित्रकी हैसियतसे उनसे मिलने जहाजपर गये और उन्होंने सुझाया कि हम दोनों साथ-साथ उतरें। श्री गांधीने यह सुझाव मान लिया[१] और [वे] अपनी ही जिम्मेवारी तथा जोखिमपर, समुद्री पुलिसको बिना कोई सूचना दिये, कोई ५ बजे, श्री लॉटनके साथ, एडिंगटनके समीप उतर गये। कुछ लड़कोंने उन्हें पहचान लिया और वे उनके और उनके साथीके पीछे लग गये। जब वे दोनों डर्बनके मुख्य मार्ग वेस्ट स्ट्रीटसे गुजर रहे थे तब भीड़ बहुत बढ़ गई। लोगोंने श्री लॉटनको श्री गांधीसे अलग कर दिया और वे उन्हें लातों, घूँसों और

  1. देखिए पृ॰ १३५।