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१. प्रमाणपत्र[१]
हम नीचे हस्ताक्षर करनेवाले, दक्षिण आफ्रिकावासी भारतीयोंके प्रतिनिधि, इस पत्र द्वारा डर्बनके एडवोकेट श्रीमान् मोहनदास करमचन्द गांधीको भारतके अधिकारियों, लोकपरायण व्यक्तियों और लोकसंस्थाओंको उन मुसीबतोंका परिचय देने के लिए नियुक्त करते हैं, जो दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंको भोगनी पड़ रही हैं।
डर्बन, नेटाल : तारीख २६ मई, १८९६
अब्दुल करीम हाजी आदम | मणिलाल चतुरभाई |
(दादा अब्दुल्ला एंड कम्पनी) | एम॰ ई॰ कथराडा |
अब्दुल कादर | डी॰ एम॰ टिमोल |
(मोहम्मद कासिम कमरुद्दीन) | दावजी मोहम्मद शीदात[२] |
पी॰ दावजी मोहम्मद | इस्माइल टिमोल |
हुसेन कासिम | शेख फरीद ऐंड कम्पनी |
ए॰ सी॰ पिल्लै | शेखजी अमद |
पारसी रुस्तमजी | मोहम्मद कासिम हाफ़िजजी[३] |
ए॰ एम॰ टिल्ली | अमद हुसेन |
हाजी मोहम्मद एच॰ दादा | मोहम्मद अमद बासा |
अमद मोहम्मद फारुख | वी॰ ए॰ ईसप |
आदमजी मियाँखाँ | मोहम्मद सुलेमान[४] |
पीरन मोहम्मद | दावजी ममद मुटाला |
ए॰ एम॰ सालूजी | सुलेमान वोराजी |
दाऊद मोहम्मद | एब्राहीम नूर मोहम्मद |
अमद जीवा हुसेन मीरम | मोहम्मद सुलेमान खोटा[५] |
के॰ एस॰ पिल्ल एंड कम्पनी | चूहरमल लछीराम |
अहमदजी दावजी मोगरारिया[६] | नारायण पाथर |
मूसा हाजी कासिम | विजय राय वलू |
जी॰ ए॰ बासा | सुलेमान दावजी |
दि ग्रीवैसेज ऑफ ब्रिटिश इन्डियन्स इन साउथ आफ्रिका
- ↑ सम्भवतः इसका मसौदा गांधी जी ने ही बनाया था। यद्यपि इसपर २६ मई की तारीख पड़ी हुई है तथापि इसे इस खण्डमें सम्मिलित किया गया है क्योंकि यह 'हरी पुस्तका' के ही एक हिस्सेके रूपमें उसके अंतिम पृष्ठपर दिया गया है देखिए अगला शीर्षक।
- ↑ ये हस्ताक्षर गुजराती और अंग्रेजी दोनों लिपियोंमें है।
- ↑ ये हस्ताक्षर गुजराती और अंग्रेजी दोनों लिपियोंमें है।
- ↑ ये हस्ताक्षर गुजराती और अंग्रेजी दोनों लिपियोंमें है।
- ↑ ये हस्ताक्षर गुजरातीमें है।
- ↑ ये हस्ताक्षर गुजराती और अंग्रेजी दोनों लिपियोंमें है।
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