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पत्र : 'नेटाल मर्क्युरी' को

वाले वही रहे हैं। रेलवे भारतीय स्कूलके श्री जे॰ एस॰ डोन पुस्तकालय-समितिके अध्यक्ष हैं। आपके विवरणसे ऐसा मालूम होता है कि श्रीमान् मेयर महोदयने जुलूस में भारतीयोंकी दुःखद अनुपस्थितिका दोष भारतीय समाजपर मढ़ा है। मैं नहीं मानता कि उन्होंने ऐसी कोई बात कही होगी, या उनका मतलब ऐसा ही होगा। इसका दोषी कोई भी हो, मैं जानता हूँ, भारतीय समाज नहीं है।

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
नेटाल मर्युरी, २५-६-१८९७

५५. पत्र : 'नेटाल मर्क्युरी' को

२५ जून, १८९७

सम्पादक
'नेटाल मर्क्युरी'
महोदय,

डर्बनवासी भारतीय समाजके अनेक हमदर्दों और मित्रोंने समाजके प्रमुखोंको उलाहना दिया है कि उन्हें हीरक जयन्ती पुस्तकालयके उद्घाटन समारोहमें शामिल होनेका निमन्त्रण नहीं मिला। मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि इस भूलके लिए जिम्मेदार मैं हूँ, हालाँकि जिन परिस्थितियों में निमन्त्रण-पत्र भेजे गये थे, उनमें भूल हो जानेकी काफी गुंजाइश थी—यह, मुझे भरोसा है, मान लिया जायेगा। गत सोमवार को ५ बजे शामके पहले निमन्त्रण-पत्र नहीं भेजे जा सके। नामोंकी सूची जल्दीमें बनाई गई थी। उसे सब प्रमुख सदस्योंको दिखा देनेका समय नहीं था। तथापि, समिति ऐसे सब सज्जनोंकी हृदयसे कृतज्ञ है कि वे अपनी उपस्थिति से अवसरकी शोभा बढ़ाने को उत्सुक थे। समितिने उन सब सज्जनोंको धन्यवाद देनेका भी मुझे निर्देश दिया है, जो निमन्त्रण-पत्र पाकर भी पहले से तय किये हुए कामोंके कारण समारोहमें नहीं आ सके, या जिन्हें पत्र देरीसे मिले। मालूम होता है कि कुछ निमन्त्रण-पत्र ठिकानेपर पहुँचे ही नहीं।

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
नेटाल मर्क्युरी, २८-६-१८९७