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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय

सन् १८८४ के लन्दन-समझौतेकी धारा १४ और १८८१ के प्रिटोरिया-समझौते[१] की धारा २६ में निम्नलिखित व्यवस्था है :

दक्षिण आफ्रिकाके देशी लोगोंके सिवा सब लोगोंको, जो ट्रान्सवाल-राज्यके कानूनोंका पालन करते हैं, अपने परिवारोंके साथ ट्रान्सवाल-राज्यके किसी भी भागमें प्रवेश करने, यात्रा करने या रहने की पूरी स्वतंत्रता होगी। उन्हें मकानों, कारखानों, गोदामों, दूकानों और अहातोंको मिलकियत रखने या उन्हें किरायेपर लेनेका अधिकार होगा। वे स्वयं या जिन लोगोंको वे नियुक्त करना ठीक समझें, उनके द्वारा अपना व्यापार-वाणिज्य कर सकेंगे। उनपर व्यक्ति या सम्पत्ति, व्यापार या उद्योगके नाते कोई ऐसा आम या स्थानिक कर नहीं लगाया जायेगा, जो ट्रान्सवालके नागरिकोंपर न लगा हो, या न लगाया जानेवाला हो।

इस तरह यह समझौता ब्रिटिश भारतीयोंके व्यापारिक तथा साम्पत्तिक अधिकारोंका पूर्ण संरक्षण करता है। जनवरी, १८८५ में ट्रान्सवाल-सरकारने समझौते की धारा १४ में आये हुए 'देशी' शब्दका ऐसा अर्थ करना चाहा था कि उसके दायरेमें एशियाई लोग भी शामिल हो जायें। दक्षिण आफ्रिका-स्थित तत्कालीन उच्चायुक्त सर हरक्युलिस राबिन्सनने उपनिवेशके मुख्य न्यायाधीश सर हेनरी डी॰ बिलियर्ससे सलाह करने के बाद यह विचार व्यक्त किया था कि ट्रान्सवाल-सरकारने 'देशी' शब्दका जो अर्थ किया है, उसे कायम नहीं रखा जा सकता और "एशियाई लोग देशी लोगोंसे भिन्न हैं"।

तब ट्रान्सवाल-सरकार और ब्रिटिश सरकारके बीच वार्ताएँ चलीं। उनका उद्देश्य यह था कि समझौतेमें परिवर्तन कर दिया जाये, जिससे कि "देशी लोगोंके सिवा सब लोगों" के लिए सुरक्षित विशेषाधिकारोंसे भारतीयोंको वंचित किया जा सके। सर हरक्युलिस राबिन्सनका मुख ट्रान्सवाल-सरकारके अनुकूल था। उन्हें अपने सुझावपर लॉर्ड डर्बीका[२] १९ मार्च, १८८५ का यह उत्तर मिला :

समझौतेमें संशोधनके बारेमें मैंने आपके सुझावपर ध्यानसे विचार किया है। अगर आपकी राय यह है कि आपके सुझावके अनुसार कार्रवाई करना ही इष्ट है, और यह दक्षिण आफ्रिकी गणराज्यके लिए अधिक संतोषजनक होगा, तो समाज्ञीकी सरकार सुझावके अनुसार संशोधन कर देनेको सहमत है। तथापि, एक बात विचार करने योग्य जँचती है। क्या फोक्सराट (लोकसभा) का सम्राजी-सरकारके इस आश्वासनपर ही वांछित कानून बना

  1. मजूबाकी ब्रिटिश पराजयके बाद इस समझौते के अनुसार ट्रान्सवाल-वासियोंको मर्यादित स्वतंत्रता मिली थी। इस प्रकार इससे १८८४ के लंदन-समझौतेकी भूमिका बनी। लंदन समझौते से ट्रान्सवालको सम्पूर्ण आन्तरिक स्वायतता प्राप्त हुई।
  2. एडवर्ड हेनरी स्मिथ स्टैन्ले (१८२६–१८९३) डार्बोकि १५वें अर्ल; उपनिवेश मंत्री, १८८२–८५।