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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


मुसलमान हिन्दुओं को खुलेआम धमकाने लगे हैं कि अगर तुमने असहयोगियोंको अपने यहाँ ठहराया तो हम तुम्हारे यहाँ चोरी करवा देंगे। एक गाँवमें कांग्रेसका जत्था वहाँके मन्दिरमें आकर ठहरा। बात-की-बातमें तीस-एक मुसलमान लाठियाँ लिये हुए आ पहुँचे और कहने लगे: “हम भाषण देनेवालोंको पीटेंगे।” अन्तमें, पुजारीने बड़ी मुश्किलसे जत्थेवालोंको दूसरे दरवाजेसे निकल जानेके लिए राजी किया। सक्खर कांग्रेस कमेटीके नौजवान मन्त्री श्री चोइथराम वछाको घोटकी नामके गाँव में कोई तीस-चालीस लाठीधारी मुसलमानोंने घेर लिया। वे शान्तिसे मार खानेके लिए तैयार हो गये। यह देखकर कई नौजवान हिन्दू वहाँ आ गये और श्री वलेछाको घेरकर चुपचाप बैठ गये। वहाँकी हिन्दू पंचायतको जब यह बात मालूम हुई तो उसने आदमी भेजकर श्री वलेछा और उनके साथ तीन या चार स्वयंसेवकोंको बुलवा भेजा। जब वे पंचायत में गये तो ३० या ४० हथियारबन्द मुसलमानोंने वहाँ भी उनका पीछा किया और पंचायतकी सभा में जा बैठे और कहने लगे कि हम वलेछाको मारेंगे। पंचायतने श्री वलेछासे कस्बा छोड़कर चले जानेकी दर्खास्त की। उन्होंने साफ कह दिया कि मैं जिस कामके लिए आया हूँ उसे पूरा किये बिना यहाँसे जानेका नहीं। तब पंचायतने मुसलमानोंसे जानकी दर्खास्त की, ताकि पंचायत अपना काम कर सके। मुसलमान सिर्फ़ हँस दिये और उन्होंने पंचायतकी बैठकसे जानेसे इनकार कर दिया। एक घंटे तक इन्तजार करनेके बाद भी जब कोई नतीजा नहीं निकला तो लाचार होकर पंचायतने श्री वलेछासे ही दर्खास्त की कि वे गाँव छोड़कर चले जायें। तब कोई चालीस हिन्दुओंके संरक्षणमें वे स्टेशन चले गये। जहाँ तक हमें मालूम है, जिन लोगोंने इस तरह आतंक, जोर-जबरदस्ती, मार-पीट और मार-पीटके लिए धमकियाँ देनके तरीकोंसे गाँवोंमें कांग्रेसके प्रचारको रोकने की कोशिश की, उनके खिलाफ उच्च अधिकारियोंने अभीतक तो कोई कार्रवाई की नहीं है। क्या इन्हीं तरीकोंसे लॉर्ड रीडिंग और सर जॉर्ज लॉयड[१] आन्दोलनका मुकाबला करना चाहते हैं?

अन्तिम वाक्यमें मुझपर मीठी मार की गई है। मैंने लॉर्ड रीडिंग और सर जॉर्ज लॉयडकी तारीफमें पहले कुछ कहा है, उसीकी ओर यह इशारा है। मैंने जो तारीफ की, वह इस पत्रमें बताई गई घटनाओंके बावजूद अपनी जगह ठीक है। उससे तो मेरे आरोपका यह सार ही साबित होता है कि हुकूमतके इस बुरे तन्त्र में भलेसे-भला हाकिम भी कोई अच्छा काम नहीं कर सकता। मेरे खयालमें तो सर जॉर्जका सिन्धके कमिश्नरपर उससे ज्यादा असर नहीं है, जितना कि गलियोंमें घूमने-वाले किसी शोहदेपर। बल्कि सच तो यह है कि वे चाहें तो उस शोहदेको डरा भी सकते हैं, मगर कमिश्नरसे तो उन्हें खुद ही डरना है। और लॉर्ड रीडिंगका सबसे बड़ा

  1. बम्बई और सिन्धके तत्कालीन गवर्नर; सिन्ध तब बम्बई प्रान्तका ही हिस्सा था।