पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३३७

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। चाय-बागानके एक अधिकारीका पत्र ३०७ सकती है। उक्त सुविधाओंको देखते हुए, क्या आप असहयोगी लोग हृदयसे यह कह सकते हैं कि चाय-बागानका मालिक कुलियोंके प्रति अपने कर्तव्यका पालन नहीं कर रहा है? नहीं, आप ऐसा नहीं कह सकते। आपके देशवासी अब यह महसूस करने लगे हैं कि कुली पहलेकी तरह बेवकूफ नहीं रहा और अब उससे नाजायज ढंगसे ज्यादा-कुछ नहीं वसूल किया जा सकता। पर पैसा तो कहींसे आना ही चाहिए। अतः पैसा ऐंठने के लिए आप उससे यह कहते है कि तुम्हें उचित मजदूरी नहीं मिलती, तुमसे कड़ी मेहनत करवाई जाती है, तुम्हारे साथ दुर्व्यवहार किया जाता है; और न जाने और भी कितनी झूठी बातें कही जाती है। आपकी नई कौन्सिलें क्या कर रही हैं? आप कौन-से कानून बना रहे हैं? जिस रफ्तारसे आप लोग चल रहे हैं उससे यह निश्चित है कि जल्दी ही आपको पछताना पड़ेगा। तब क्या करना जरूरी है ? असममें भारतीय कर्मचारियोंका वेतन दूना कर देना चाहिए। इससे बाबुओं में इस समय जो असन्तोष व्याप्त है, वह समाप्त हो जायेगा। अधिकतर बाबुओंकी तनख्वाहें तो कम हैं, पर उन्हें काफी बड़े परि- वारका भरण-पोषण करना होता है। इससे उन्हें कहीं-न-कहींसे पैसा पानेको मजबूर होना पड़ता है। वे बड़ोंसे, शक्तिशालियोंसे तो कुछ वसूल कर नहीं सकते, अतः छोटोंसे, कमजोरोंसे ही ऐंठते हैं। मेरे कर्मचारियोंमें एक प्रधान क्लर्क तथा उसके वो सहायक क्लर्क हैं। उन सबकी तनख्वाह बहुत कम है। वे चोरी नहीं करते और कर भी नहीं सकते, क्योंकि मुझे धोखा देना बहुत मुश्किल है। मैं उनकी वर्तमान स्थितिसे बहुत दुःखी हूँ। पर मैं अपनी तनख्वाहमें से उनकी मदद नहीं कर सकता। कारण, मैं भी अपनी जीविकाके लिए मेहनत- मशक्कत करता हूँ। और मैं मदद करूं भी क्यों? मेरे मालिक मुझे उन्हें अधिक वेतन देनेकी इजाजत नहीं देते। पर आज नहीं तो कल, उन्हें अधिक वेतन देना ही होगा। अलबत्ता, वह आन्दोलन तथा सहयोगके जरिये ही होगा, असहयोगके जरिये नहीं। आपके अनुयायी बोल्शेविकोंका तरीका अपना रहे हैं। जहाँ खुशहाली है, वहाँ वे गड़बड़ी पैदा कर देना तथा सारी चीजोंको उलट-पलट देना चाहते हैं। मैं आपसे कहता हूँ कि रचनात्मक आन्दोलन कीजिए, सहयोग कीजिए, कानून बनाइए। आप असहयोगकी बातको दिमागसे निकाल दीजिए। उससे कोई लाभ न होगा। में असममें निम्नलिखित बातें चाहता हूँ: (१) मजदुर आजाद हों, क्योंकि आजादी ही सच्चा धन है। (२) प्रत्येक भारतीयको बिना किसी रोक-टोकके देशके किसी भी हिस्सेमें, अकालग्रस्त हिस्सेसे खुशहालीवाले हिस्से में, जानेका अधिकार हो। Gandhi Heritage Portal