पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३४८

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३१८ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय पत्नी द्वारा विदेशी वस्त्र पहनकर पकाये गये भोजनको हाथ भी नहीं लगाऊँगा। अगर भारतीय स्त्रियाँ इतना त्याग भी नहीं करना चाहतीं, अगर वे इतना कष्ट उठाने- को भी तैयार नहीं हैं तो आपको अभी जलियाँवाला बाग-जैसी बहुत सारी विभीषिकाएँ झेलनी होंगी। अगर आप मेरे कथनकी ओर ध्यान नहीं देंगी तो आपको महीनेकी इस आखिरी तारीखको जो कष्ट उठाना पड़ रहा है आगे उससे भी अधिक कष्ट सहन करने होंगे। अन्तमें उन्होंने सभी हिन्दुओं और मुसलमानोंसे उत्कटता-पूर्वक अपील की कि वे सभी विदेशी वस्तुओंका त्याग कर दें और सिर्फ स्वदेशमें ही बनी वस्तुओंका इस्तेमाल करें। [अंग्रेजीसे] बॉम्बे क्रॉनिकल, १-७-१९२१ १४३. भाषण : पारसियोंकी सभामें' ३० जून, १९२१ श्री गांधीने अपने लम्बे भाषणके दौरान श्रोताओंसे अनुरोध किया कि मेरे बोलते समय आप लोग कोई बाधा न डालें और हर्षध्वनि वगैरह न करें। उन्होंने कहा, मैंने ऐसा कभी नहीं कहा कि पारसी लोग मुझे अच्छी तरहसे नहीं जानते और वे मेरे साथ नहीं है। जब मैं छोटा बच्चा था, तभीसे में पारसियोंको जानता हूँ और पारसी मुझे जानते हैं। मेरे सबसे अच्छे और अन्तरंग मित्र पारसी है और पारसी समाजसे मेरा सम्बन्ध बहुत घनिष्ठ है। दादाभाई मेरे पिताके, बल्कि पितामहके समान थे और अगर आपको कभी स्वराज्य मिला तो यह दादाभाईके प्रयत्नों और इस देशके लिए उन्होंने जो शानदार काम किया है उसकी बदौलत होगा। जब' में नवयुवक था, तब उन्होंने ही मुझे स्वराज्यका प्रथम पाठ पढ़ाया था। जब में दक्षिण आफ्रिकासे एक शिष्टमण्डल लेकर इंग्लैंड गया था तब दादाभाई नौरोजी और श्री फीरोजशाह मेहता मुझसे जो कहते थे, मैं वही बोलता और करता था। मेरे मनमें ऐसा खयाल कभी नहीं आया कि पारसी लोग मेरे विरुद्ध है। मुझे बराबर पूरी उम्मीद रही है कि इस आन्दोलनमें वे मेरा साथ देंगे। मुझे इस बातका तनिक भी दुःख नहीं है कि उनके मनमें शंकाएँ हैं। ये सिर्फ पारसी लोग ही हैं जो सैकड़ों वर्षोसे तीस करोड़ भारतीयोंके बीच रहते आये हैं और तब भी उन्होंने दुनियाको अपने अस्तित्वका विशेष बोध कराया है और इस देशके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में एक प्रमुख स्थान प्राप्त १. पारसियोंकी यह समा गांधीजीको ३०,००१ की एक थैली भेंट करनेके लिए बम्बईके एक्सल- सियर थियेटर में हुई थी। सभामें वि० झ० पटेल, सरोजिनी नायडू, श्री और श्रीमती पिक्थॉल, अली बन्धु और डाक्टर किचलू भी मौजूद थे। Gandhi Heritage Portal