पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/३९४

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१७३. पत्र: देवचन्द पारेखको गामदेवी, बम्बई ११ जुलाई, १९२१ भाईश्री देवचन्दभाई, आपके पत्र मिले। काठियावाड़ने तो आशासे अधिक किया है। मैं चाहता हूँ कि अब आप खादी तैयार करने में लग जायें। कानूनकी सविनय अवज्ञा एकाएक नहीं करनी है। आपका हिसाब ठीक नहीं है। छ: करोड़ चरखे अपने-आप शुरू हो जायेंगे। बीस लाख चरखे शुरू करने में हमें बहुत ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ा है। हो भी नहीं सकता, क्योंकि थोड़ा-सा खर्च करने के बाद लोकोपयोगी वस्तुको लोग स्वयंमेव उठा लेते हैं। सदस्य बढ़ानेका काम भी चलता रहता है। मोहनदास गांधीके वन्देमातरम् गुजराती पत्र (जी० एन० ५७१७) से । १७४. भाषण : बम्बईमें शराब-बन्दीपर' १२ जुलाई, १९२१ महात्मा गांधीने कहा : बम्बई लौटने के बाद मैंने शराबके ठेकेदारोंकी स्थिति समझ ली है और मैं सोचता रहा हूँ कि मैं प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीको, और शराबके व्यापारियोंको भी, क्या सलाह दूं। मैं इन बातोंके बारेमें गहराईसे सोचता रहा हूँ। शराबके व्यापारियोंका, जो अपनी आजीविका लोगोंको शराब बेचकर कमा रहे हैं, मुझे बहुत खयाल रहता है। श्री बी० एफ० भरूचाने मुझे इस सम्बन्ध तथ्य और आँकड़े दिये हैं तथा कई पारसी भाइयोंने गुमनाम और अपना नाम देते हुए पत्र भी लिखे हैं। मुझे इन सब पत्रोंसे यह मालूम हो गया है कि इस व्यापारके सम्बन्धमें शहरको वास्त- विक स्थिति क्या है। मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि पारसियोंकी ८०,००० की छोटी-सी बिरादरी में यदि एक दर्जन या ऐसे ही कुछ बुरे लोग हों तो भी उनसे उसे नुकसान पहुँचेगा, जब कि हिन्दुओं या मुसलमानोंमें इन बुरे आदमियोंकी संख्या ५ या ७ लाख होनेपर भी उनका इतना साफ परिणाम नहीं दिखेगा। संसारमें सदा ऐसा १. महात्मा गांधीने मंगलवारको प्रात: बम्बई में मारवाड़ी विद्यालयके भवनमें शरावके व्यापारियोंकी सभामें भाषण दिया था। यह सभा पारसी राजकीय सभाके तत्वावधान में बुलाई गई थी। Gandhi Heritage Portal