पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/४६१

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२०४. पत्र-लेखकोंसे पी० सिष्टा : वकीलोंसे सम्बन्धित कांग्रेसके प्रस्तावका उद्देश्य यह था कि जिन न्यायालयोंके द्वारा सरकार अपनी सत्ताको मजबूत करती है उन न्यायालयोंकी प्रतिष्ठा कम हो जाये। एन० एच० मोदी: संविधानका विचार किये बिना जो लोग रसद और बेगार लेते हैं, उनको निश्चय ही कांग्रेस समितियोंमें पदाधिकारी नहीं बनना चाहिए। मेरी रायमें, कांग्रेसके प्रस्तावसे नामजद सदस्योंके पदाधिकारी बननेपर रोक लगती है। साथ ही कोई अवैतनिक मजिस्ट्रेट भी पदाधिकारी नहीं बन सकता। इक्कीस वर्षसे कम आयुके लोग निश्चय ही सदस्य नहीं बन सकते, भले ही वे कितने भी पढ़े-लिखे क्यों न हों। निजी रूपसे मैं इस बातमें विश्वास नहीं कर सकता कि सहयोगी असहयोगका कार्य सफलतासे चला सकते हैं। इसलिए मैं चाहता हूँ कि जहाँ कार्य संगठित करनेके लिए कोई असहयोगी नहीं मिल सकता, वहाँ कार्य आरम्भ ही न किया जाये। असहयोगी मुसलमानको अवश्य ही विदेश में बनी तुर्की टोपी नहीं पहननी चाहिए। जो व्यक्ति कांग्रेस समितियोंके चुनावमें अपने लिए मत माँगनेके लिए पैसे लेकर काम करनेवाले लोग नियुक्त करता है, मैं उसे अयोग्य उम्मीदवार समझता हूँ। मैं इस पत्र-लेखकसे और दूसरे लोगोंसे यह कहता हूँ कि अन्ततः इस बातका चुनाव करना तो मतदाताओंके हाथमें है। यदि असह्योगी मतदाता सहयोगियोंको या संदिग्ध चरित्रके लोगोंको चुनना तय करते है तो कोई भी संविधान उन्हें सार्वजनिक जीवनमें प्रवेश करनेसे नहीं रोक सकता। और चूंकि सहयोगियोंको भी कांग्रेसमें सम्मिलित होनेका अधिकार है, इसलिए यदि वे कांग्रेसमें आते हैं तो जहाँ उनका बहुमत होगा वहाँ वे निःसन्देह अपनी पसन्दके उम्मीदवारोंको चुनेंगे। कांग्रेसके संविधान- में दलोंका खयाल नहीं रखा गया है। हाँ, कांग्रेसके असहयोग-सम्बन्धी प्रस्तावमें, जो लगभग निर्विरोध पारित किया गया था, यह आवश्यक रखा गया है कि असहयोगी उन लोगोंको ही चुनें जो कांग्रेस कार्यक्रमका अधिकसे-अधिक दृढ़तासे पालन करते हों, जिससे प्रस्ताव ठीक तरह अमलमें लाया जा सके। के० बी० लाल गुप्त : इस बातका कभी भी दावा नहीं किया गया है कि चरखेसे किसी परिवारका निर्वाह हो सकता है। दावा केवल यही किया जाता है कि चरखेसे गरीबको भोजन मिल सकता है। किन्तु उसका सबसे बड़ा दावा तो यह है कि वह राष्ट्रको समृद्ध बनाने के लिए अनिवार्य है। बी० एस० एम० : फौजदारी या दीवानीके झूठे मुकदमोंमें गवाही देने के सम्बन्धमें आपसे मेरा कहना है कि आप कार्यकारिणी समितिके स्पष्टीकरण को देखें। जहाँ नगरपालिकाएँ स्कूलोंका राष्ट्रीयकरण कर दें, वहाँ भी यह अच्छा होगा कि कांग्रेसके १. इसमें वकीलोंसे अदालतोंका बहिष्कार करनेको कहा गया था । Gandhi Heritage Portal