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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

श्रद्धालुके मनमें श्रद्धा उपजेगी । नवयुवक समुदायके मुसलमान और हिन्दू एकमत होकर और एक दिलसे बहुत ज्यादा काम कर रहे हैं, हमारे लिए आशाकी यह बहुत बड़ी निशानी है।

दो दोष

मैं देखता हूँ कि अभी लोगोंमें स्वदेशीके बारेमें पूरी समझ अथवा जागृति नहीं है। अभी साज-सज्जामें विदेशी वस्त्र और विदेशी कागजोंका इस्तेमाल जारी है। हमें यदि विदेशी वस्त्रका बहिष्कार इसी वर्ष करना है तो हमें प्रत्येक विषयपर विचार कर लेना होगा। सूक्ष्मसे-सूक्ष्म बातोंपर भी हमें ध्यान देना होगा। धर्म समझकर ही जब विदेशी वस्त्रको तिलांजलि दी जायेगी तभी बड़ा होनेपर भी इस कार्यको हम आसानीसे कर सकेंगे। इसमें थोड़ी भी गुंजाइश नहीं माननी चाहिए।समझदार लोगोंके लिए तो हमारी मिलका कपड़ा भी विदेशी ही है। हमेशा देशी मिल और विदेशी मिलके मालको नहीं पहचाना जा सकता। स्वदेशीका सन्देश जिनतक पहुँचा ही नहीं है मिलका माल उन गरीबोंके लिए आवश्यक ही है। सच्ची स्वदेशी वही है जिसकी सूईसे लेकर समस्त प्रक्रियाएँ उसी गाँव अथवा शहरमें हुई हों। जिस शहरमें यह चीज होगी उस शहरकी आबादी बढ़ेगी और वह शहर अपनी स्वतन्त्रताको खुद प्राप्त कर लेगा। इस स्थितिको लानेके लिए इस बातकी जरूरत है कि लोग खूब सोच-समझकर विदेशी कपड़ेका बहिष्कार करें ।

दूसरा दोष है लोगोंका फूलोंके हार भेंट करनेका शौक । यह अभी तक नहीं गया है। फूलोंके हार देनेमें मैं कोई लाभ नहीं देखता । असंख्य फूल व्यर्थ चले जाते हैं। अभी हमारे पास इस तरह फेंकनेके लिए पैसे नहीं हैं। हार तो सिर्फ सूतके ही होते हैं। सूतके अनेक तरहके कला कौशलयुक्त हार बनाये जा सकते हैं। सूतको अनेक तरहसे गूंथा जा सकता है। सूतकी पतली-पतली लड़ियाँ बनाई जा सकती हैं। सिर्फ इसी तरह महीन सूत कातकर उसकी लड़ीका हार बनाकर देनेमें विचार और प्रेमका भाव निहित है। जिसे सूतका हार मिले वह उसका उपयोग कर सकता है। ऐसा समय आ रहा है कि जब सूतके हार गरीबोंको दिये जायेंगे और वे उसका उपयोग करेंगे। पुष्प-मालाका कोई उपयोग नहीं कर सकता और फूलोंको व्यर्थ बखेरना तो बिलकुल ही नाहक कहा जायेगा ।

काम, काम और काम

यदि हम इसी वर्ष स्वराज्य प्राप्त करना चाहते हों तो हमें काममें ही लगे रहना चाहिए। सभाएँ, जलूस और इस तरहकी अन्य चीजें, जिस हदतक लोगोंमें जागृति लानेकी बात है उस हदतक तो ठीक है लेकिन जहाँ लोगोंमें जागृति आ गई है वहाँ तो चुपचाप काम ही करना है। हमेशा चन्दा इकट्ठा करना, हमेशा सूत कतवाना, नये चरखे तैयार करवाना, जिस घरमें चरखा न हो वहाँ चरखा दाखिल करना, खादी इकट्ठी करना, जिन्होंने खादीको इस्तेमाल करना शुरू न किया हो उनसे उसे इस्तेमाल करने के लिए अनुरोध करना तथा मद्यनिषेधके कार्यमें उत्साही व्यक्तियोंको