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टिप्पणियाँ

लगाना--सभीको स्वराज्यके ये सब कार्य करने चाहिए तथा जनताको भी इन्हें करने के लिए प्रेरित करना चाहिए ।

[ गुजरातीसे ]

नवजीवन, २४-४-१९२१

२०. टिप्पणियाँ

'नवजीवन' की भाषा

एक पारसी बहन, एक पारसी भाई और अन्य लोगोंने 'नवजीवन' की भाषाकी आलोचना की है। हम 'नवजीवन' की भाषाको सरल रखनेकी बराबर कोशिश करते रहते हैं। मेरी मान्यता है कि 'नवजीवन' का कार्यक्षेत्र भाषा सुधारने अथवा उसमें कठिन शब्द दाखिल करनेका नहीं वरन् सरलसे-सरल और जिसे ज्यादासे-ज्यादा लोग समझ सकें ऐसी भाषामें विचारोंका प्रचार करनेका है। ऐसा होनेके बावजूद लेखक इस उद्देश्यको ध्यान में रखकर नहीं लिखते । सबको अपने-अपने शब्दोंको प्रयुक्त करनेकी आदत पड़ी हुई है । फलत: 'नवजीवन' की भाषा हमेशा ही सरल नहीं रह पाती, यह भी मैं देखता हूँ। मैं पाठकोंको इतना विश्वास अवश्य दिलाना चाहता हूँ कि जान-बूझकर भाषाको जटिल बनानेका प्रयत्न नहीं किया जाता है। हमारा उद्देश्य तो हमेशा भाषाको सरल बनाये रखनेका ही रहेगा। आलोचकोंने आलोचना लिख भेजी--इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ । संस्कृत शब्दोंका कम इस्तेमाल किया जाये, ऐसा प्रयत्न मैं अवश्य करूँगा। मुझे मालूम है कि अनेक मुसलमान और पारसी भाई 'नवजीवन' पढ़ते हैं। ऐसी अनेक बहनें भी 'नवजीवन' पढ़ती हैं जो कठिन शब्द नहीं समझ सकतीं। उनके लिए 'नवजीवन' की भाषाको सरल बनाना मैं अपना धर्म समझता हूँ ।

[ गुजरातीसे ]

नवजीवन, २४-४-१९२१