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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैं मद्रास में आठ दिन ठहरनेकी उम्मीद कर रहा हूँ।

सस्नेह

तुम्हारा,
मोहन

[ पुनश्च ]

मार्फत कांग्रेस कार्यालय

मैंने संलग्न पत्र अभी देखा है। मैंने 'स्टेट्समैन'[१] में इसका मूल विवरण पढ़ा है। मुझे लगा कि कविका कोई सम्बन्धी इस प्रकारकी असत्य बात नहीं लिख सकता। भेंटके[२] समय कोई सम्बन्धी उपस्थित नहीं था और मैंने इसकी ओर ध्यान नहीं दिया। परन्तु जाहिर है कि इसके पीछे किसी सम्बन्धीका हाथ जरूर है, नहीं तो बंगाली लोग इसे महत्व कदापि न देते। क्या कवि इसे नहीं पढ़ेंगे और यदि यह असत्य है तो क्या वे इसका खण्डन नहीं करेंगे ? तुम भी कर सकते हो। परन्तु कृपया कविसे परामर्श कर लो और जो कर सको, करो।

अंग्रेजी पत्र (जी० एन० ९८७) की फोटो नकलसे।


४४. सन्देश : बम्बईके नागरिकोंको[३]

[ १४ सितम्बर, १९२१ के पश्चात्।][४]

मौलाना मुहम्मद अलीको वाल्टेयरमें धारा १०७ और १०८ के अन्तर्गत गिरफ्तार कर लिया गया और उनसे एक वर्षतक अच्छे आचरण के लिए मुचलका देने को कहा गया। मुकदमेके स्थान और तारीखका अभी पता नहीं है।

गिरफ्तारी के बाद बेगम साहिबा और श्री हयातको उनसे मिलनेकी इजाजत दी गई।

मैं और वे स्टेशनके बाहर एक सभामें भाषण देनेके लिए जा रहे थे। वे गिरफ्तार कर लिये गये। मैं सभाकी ओर बढ़ता चला गया और मैंने भाषण दिया।

रंज मनानेका कोई कारण नहीं है, बल्कि मौका मुबारकबादका है। कोई हड़ताल नहीं होनी चाहिए। पूरी शान्ति और स्थिरता रखनी चाहिए। यदि हम कुछ मोपलाओं के द्वारा किये गये पागलपनके बावजूद अहिंसात्मक रहे, हिन्दू-मुस्लिम एकता बनाये रख सके और स्वदेशी कार्यक्रम पूरा कर पाये तो मैं इस गिरफ्तारीको स्वराज्य पानेकी

  1. १०-९-१९२१ के स्टेट्समैनमें।
  2. ६ सितम्बर, १९२१ को कलकत्ते में, जिसमें एन्ड्रयूज भी मौजूद ये।
  3. गांधीजी द्वारा बम्बईको भेजा गया यह विवरण वाल्टेयर से अमृतबाजार पत्रिकाको भी भेजा गया था, किन्तु वहाँ नहीं पहुँचा।
  4. पत्रमें मुहम्मद अलीकी जिस गिरफ्तारीका उल्लेख है वह १४ सितम्बरको हुई थी।