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पत्र : सी० एफ० एन्ड्रयूजको

विश्वास है कि -- आगामी अक्तूबरतक यदि नहीं तो -- चालू वर्षके अन्ततक तो स्वराज्य प्राप्त हो ही जायेगा।

[ अंग्रेजीसे ]
अमृतबाजार पत्रिका, १५-९-१९२१


४२. तार : डाक्टर टी० एस० एस० राजनको

[ १४ सितम्बर, १९२१ के पूर्व ]

आप एक छोटे दौरेकी[१] व्यवस्था करें लेकिन प्रतिदिन तीन घंटे मौन रहूँगा।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, ११-१०-१९२१


४३. पत्र : सी० एफ० एन्ड्रयूजको

मद्रास जाते हुए
१४ सितम्बर, [१९२१]

मेरे प्यारे चार्ली,

महादेवने मुझे शान्तिनिकेतनका सजीव विवरण दिया है। उससे मुझे दुःख हुआ है। वहाँ पारस्परिक मतभेद और कटुता है। उसने यह भी कहा है कि तुम भी उस आन्तरिक झगड़े से घबरा उठे हो। मैं जानता हूँ कि तुम अपनी शान्ति हासिल कर लोगे। इस संघर्ष में तुम मेरा साथ दो चाहे न दो, तुम मेरे लिए वैसे ही बने रहोगे जैसे कि पोलक हैं। मुझे यह भी ज्ञात है कि तुम अपनी अन्तरात्माके निर्देशके अनुसार ही चलोगे। मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे कारण दुःखी न हो।

महादेवने मुझे बताया है कि तुमने मेरा बनारसीदासको बुला लेना नापसन्द किया है। किन्तु मैं ऐसा कहाँ कर रहा हूँ। उसने मुझे लिखा था और मुझसे जबानी भी कहा था कि जहाँतक तुम्हारा सवाल है तुमने उससे कह रखा है कि वह आजाद है; जहाँ रहना चाहे, रहे। उसे जो काम करना है उसकी दृष्टिसे मैंने उसे सलाह दी है कि बम्बईमें रहना बेहतर रहेगा। और उसने फैसला कर लिया है। किन्तु वह शान्तिनिकेतन में रहने के लिए स्वतन्त्र है और में अब भी, जबतक वह प्रवासियोंके हितके लिए काम करता रहेगा, उसके लिए धन जुटाने की कोशिश करूँगा।

तुम्हारी पूर्वी अफ्रिकाकी प्रस्तावित यात्राके बारेमें नटराजनका[२] पत्र संलग्न करता हूँ।

  1. मद्रास प्रान्तका दौरा।
  2. बम्बईके इंडियन सोशल रिफॉर्मरके सम्पादक।