पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/१३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१०२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इस्तीफा देने की बात सोचने लगे थे। शहरके प्रायः प्रत्येक व्यक्तिको यह लग रहा था कि कार्रवाई अन्यायपूर्ण है। हमारी रिहाईके असली कारण ये थे। ऐसी हालत में हड़तालके महत्त्व और उसकी उपयोगिताके बारेमें जितना कहा जाये कम है। जिस शक्तिने लोगों में ऐसी अद्भुत एकता पैदा कर दी वह आई कहाँसे ? मेरी नम्र रायमें यह शक्ति अधिकांशमें उस हड़तालसे ही प्रकट हुई जो व्यापारियोंने बहुत खुशीसे की और जिसे सामान्य जनताने खूब ही सराहा। गरीब और गरजमन्द लोगोंके लिए उनकी जरूरतकी वस्तुएं मुहैय्या करनेके लिए उपयुक्त प्रबन्ध कर दिया गया था। उनके लिए कुछ दुकानें खुली रखी गई थीं। कारखानों, दुकानों और रेलवेके माल गोदामोंके मजदूरोंकी एक बड़ी सभामें लोगोंने उनमें से जिन्हें जरूरत हो उन्हें राहत पहुँचानके लिए मदद देनेकी इच्छा जाहिर की थी किन्तु उन्होंने मदद लेनेसे इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अपने ध्येयके लिए हम खुशीसे कष्ट सहेंगे, मदद नहीं लेंगे।

मुझे उम्मीद है कि ऊपर मैंने जो तथ्य पेश किये हैं उनसे यदि और कुछ नहीं तो हमारी गलतीकी गुरुता अवश्य कुछ कम हो जाती है...

कार्य-समितिकी अनुमति लिए बिना हड़ताल करने के खिलाफ मेरा जो विरोध है तो इसके बाद भी कायम ही है। गण्टूरमें हुई हड़तालका फल अच्छा निकला है, यह बात गण्टूर और उसके कार्यकर्त्ताओंके लिए प्रशंसाकी है। लेकिन श्री वेंकटप्प्याने उसका जो वर्णन किया है उसीसे यह प्रकट हो जाता है कि हड़तालमें खतरा है और उसके सफल संचालनके लिए बहुत कौशल और चतुराई चाहिए। गण्टूरमें जो कुछ हुआ उसका मेरा विश्लेषण यह है कि हड़तालके पहले जो गिरफ्तारियाँ हुईं उनका गण्टूर-निवासियोंपर बड़ा प्रभाव पड़ा और वे सक्रिय हो उठे। हड़तालसे सरकार आतंकित हो गई और उसने घबराकर नेताओंको रिहा कर दिया -- यह कोई ठीक बात नहीं हुई। मैं तो ऐसा मानना चाहूँगा कि उनकी रिहाई वकीलोंके त्याग और सरकारी दफ्तरोंके क्लर्कोंके इस्तीफा देनेकी तैयारीके फलस्वरूप हुई। हाँ, वकीलोंने जो त्याग किया वह यदि हड़तालका परिणाम था, तो हड़ताल निश्चय ही शुभ थी। हमें जरूरत इस चीजकी है कि लोग असहयोग के ठोस कार्यक्रममें अधिकाधिक योग दें; अगर हड़तालोंके द्वारा यह प्रयोजन सिद्ध होता हो तो मैं हमेशा हड़तालोंकी सिफारिश करूँगा।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १५-९-१९२१