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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आपकी रायमें क्या आज राजनैतिक परिस्थितियाँ उन गृह उद्योगोंके पुनरुत्थान के लिए अनुकूल हैं, जिन्हें आपके विचारके अनुसार ईस्ट इंडिया कम्पनीने नष्ट कर दिया था ?

मैं परिस्थितियों को बहुत अनुकूल मानता हूँ, क्योंकि लोग महसूस कर रहे हैं कि यदि अब हाथ-कताई और हाथ-बुनाईका पुनरुत्थान नहीं किया गया तो उनके लिए दिनों-दिन अधपेट भूखों मरनेके सिवाय और कोई चारा नहीं है।

तो इसी दिशामें जनताको प्रयत्नपूर्वक चलाना क्या आपके कार्यक्रमका अंग है?

हाँ! यह काम बहुत बड़े पैमानेपर किया जा रहा है।

भले ही लोग देशप्रेम और बचतके खयालसे हाथ-कताईपर ध्यान देने लगे तो भी यदि साथ ही फैक्टरी व्यवस्था और मशीनकी बनी चीजोंका भारतमें आना जारी रहा, तो क्या आप विशेष रूपसे आन्दोलनके सफल होनेकी आशा करते हैं ?

इसका उत्तर स्वयं आपका प्रश्न ही दे रहा है। यदि लोग देशभक्ति और बचतकी भावनासे यह काम करने लगते हैं, तो यह हो सकता है।

परन्तु हमारे लोगोंका और उनकी वर्तमान दशाका आपने जो अध्ययन किया है, क्या उससे आपको यह आशा बँधती है कि देशभक्तिको भावना इतनी बलवती सिद्ध होगी कि राज्यकी मददके बिना ही बड़े पैमानेपर घरेलू उत्पादनको जबर्दस्त प्रोत्साहन दिया जा सके ?

हाँ, अवश्य। इसीलिए मैं कहता हूँ कि यदि लोग हाथ कताई और हाथ बुनाईको बड़े पैमाने पर अपना लें तो उससे स्वतः ही हम स्वराज्यकी ओर अग्रसर होंगे।

परन्तु आन्तरिक उपद्रव, जैसे कि मलाबारमें हुए, अहिंसात्मक असहयोगकी गति में बहुत ही बड़ी बाधा है, यह तो आप मानेंगे हो?

मेरा उत्तर 'हाँ' है।

क्या आप यह भी नहीं मानते कि मलाबारके इस दंगेका आपके आन्दोलनसे बहुत-कुछ सम्बन्ध था ?

जो जानकारी मैंने प्राप्त की है, और जिसपर मुझे सन्देह करनेका कोई कारण नहीं है, वह इसी तथ्यको प्रमाणित करती है कि हिंसा उन स्थानोंपर भड़की जो हमारे असहयोगियोंकी कार्रवाइयोंसे लगभग अछूते ही बचे थे। और मेरी जानकारीमें तो यह भी है कि असहयोगियोंको जानबूझकर इन उपद्रवग्रस्त क्षेत्रोंमें जाने से रोका गया था।

यद्यपि आपके दलके बाहरके प्रतिष्ठित नेताओंने असहयोग आन्दोलनको बड़े पैमाने पर चलाने दुष्परिणामोंकी ओर ध्यान आकर्षित करते हुए आपके आन्दोलनका विरोध किया था तथापि क्या आपको अब भी यही धारणा है कि असहयोग भारतजैसे देशको स्वराज्य दिलानेका, एकमात्र न सही, तो भी मुख्य साधन अवश्य है ?

हाँ, यही एकमात्र उपाय है; भारत किसी अन्य उपाय द्वारा सौ सालोंमें भी स्वराज्य नहीं पा सकता।