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भाषण : कडालोर में

प्रबन्ध करेंगे कि हर घरमें चरखा चलने लगे और अपना कपड़ा मैन्चेस्टर और जापानसे या बम्बई तथा अहमदाबादसे प्राप्त करने के बजाय आप उसे स्वयं तैयार कर लिया करेंगे।

सफलता पानेकी तीसरी शर्त हिन्दू-मुस्लिम एकता है। परन्तु जो कुछ मैंने देखा है उससे मैं इसी निष्कर्षपर पहुँचा हूँ कि यदि घरोंमें चरखा चलने लगा तो वह हिन्दुओं और मुसलमानोंके बीच एकता पैदा करेगा। हम अपने आन्दोलनको आत्मशुद्धिका आन्दोलन कहते हैं। और इसलिए डा० राजनसे[१] यह जानकर मुझे खुशी हुई कि इस प्रान्तमें नशाबन्दी आन्दोलनकी पर्याप्त प्रगति हुई है। मैं आशा करता हूँ कि आप अपने बीचसे मद्यपानका अभिशाप पूरी तरह दूर कर देंगे।

मुझे अपने देशके हिन्दू स्त्री-पुरुषोंसे एक बात और कहनी है। शायद छुआछूतका अभिशाप भारतके अन्य किसी भागमें इतना नहीं जितना कि इस प्रान्तमें है। धार्मिक श्रद्धा और देव पूजाके इस प्रदेशमें कलंक -- छाया आपके दामनको नापाक कर रही है। इसी पवित्र भूभागमें अछूतोंके साथ उससे भी ज्यादा बुरा बर्ताव किया जाता है, जिस बर्तावकी शिकायत हमें अपने शासकोंसे है। यदि भारतकी जनसंख्याके छठे भागको हम हमेशा के लिए मताधिकारसे वंचित कर देते हैं, तो स्वराज्य एक अर्थहीन शब्द है। मैं एक सनातनी हिन्दू होने का दावा करता हूँ, और इस हैसियतसे बोलते कहता हूँ कि हमारे शास्त्रोंमें अस्पृश्यताके लिए किंचित् भी प्रमाण नहीं है। और यह सोचकर मुझे दुःख होता है कि एक ऐसे देश में जहाँ शंकर और रामानुजने जन्म लिया और शिक्षा दी, वहाँ यह हो रहा है। मैं अपनी वह घोषणा फिरसे दोहराता हूँ जो मैं कई मंत्रोंसे व्यक्त कर चुका हूँ कि हम जबतक इस प्रकारका कलंक नहीं मिटा देते, तबतक भारतको स्वराज्य नहीं मिल सकता। कर्मका फल अवश्य मिलता है इस बात में मेरा पूरा विश्वास है, और इसीलिए कहता हूँ कि अपने छठे भागको अन्त्यज बनाये रखनेका उचित प्रतिफल भगवानने संसारमें हमें अन्त्यज बनाकर दिया है। संसारके सभी महान धर्म -- हिन्दू, इस्लाम, ईसाई -- आज एक क्रान्तिमय और अस्थिर अवस्थामें हैं। मेरा विश्वास कीजिए, यदि हम अस्पृश्यताके दोषसे छुटकारा नहीं पा सकते तो हिन्दूधर्मका स्थान इस सूची में सबसे नीचे होगा। इसलिए मैं आशा करता हूँ कि आप लोग और विशेष रूपसे नेतागण तथा बहनें मेरा निवेदन सुनेंगी और अस्पृश्यता के सम्बन्धमें पास किये गये कांग्रेस प्रस्तावपर पूरी तरहसे ध्यान देंगी। आपने मेरी बातें जिस धैर्य के साथ सुनी हैं उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ और आशा करता हूँ कि आप हमारे मित्र मौलाना आजाद [ सोवानी ] के विचार आदरसे सुनेंगे; वे हिन्दुस्तानी में बोलेंगे। ...

कुछ समय पश्चात् अग्नि प्रज्वलित की गई और लगभग एक हजार रुपये मूल्यके विदेशी कपड़े 'महात्माकी जय', 'वन्दे मातरम्' और 'अल्लाहो अकबर' के

  1. डा० टी० एस० एस० राजन्, जो उस सभा में उपस्थित थे।