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भाषण : मानपत्र के उत्तरमें

कराय। मैं आशा करता हूँ कि सच्चे असहयोगियोंके नाते वे जेल जायेंगे। मैं यह आशा भी करता हूँ कि सरकार चाहे जो भी करें, लोग हर हालत में अहिंसाका पालन निष्ठाके साथ करते रहेंगे, और अंत में मैं इस बातकी भी आशा करता हूँ कि जो लोग गिरफ्तार किये गये हैं, उनकी पत्नियाँ और उनके सम्बन्धी दृढ़ रहेंगे और उन्हें किसी भी तरहका बचाव पेश किये बगैर जेल जाने देंगे।

[ अंग्रेजी से ]
हिन्दू, २६-९-१९२१


६७. भाषण : मानपत्र के उत्तर में[१]

२० सितम्बर, १९२१

महात्माजीने अपने संक्षिप्त भाषणमें मानपत्रका उत्तर देते हुए कहा कि मुझे जो चाँदीकी तश्तरी भेंट की गई है, उसकी बिक्रीसे मिलनेवाला पैसा तिलक स्वराज्य कोषमें जमा किया जायेगा, क्योंकि मेरे पास तो ऐसे उपहार रखनेके लिए कोई जगह ही नहीं है। श्रीरंगम् नगरपालिकाका ध्यान, बल्कि अपने अस्तित्त्वका औचित्य सिद्ध करने की सामर्थ्य रखनेवाली हर नगरपालिकाका ध्यान, मैं तीन बातोंकी ओर दिलाना चाहता हूँ। एक तो यह है कि अगर आप राष्ट्रीय पुनरुत्थानके इस महान आन्दोलन में भाग लेना चाहते हैं तो आपको ध्यान रखना चाहिए कि श्रीरंगम्‌का कोई भी नागरिक बिना खद्दरके न रहे और किसी भी नागरिकके घरमें कोई विदेशी कपड़ा नहीं रहे। दूसरे, आपको अपने बीचसे मद्यपानके अभिशापको बिलकुल मिटा देना चाहिए। तीसरे, अस्पृश्यताका कलंक भी न रहने पाये। इस कलंकमय प्रथाको हिन्दू धर्म में कहीं भी स्वीकृति नहीं दी गई है। यह भारतकी जीवन शक्तिको ही अपना आहार बनाती जा रही है। मेरा निश्चित मत है कि जिस समय आप इस अभिशापसे छूटकारा पा लेंगे, आप स्वराज्य के अधिकारी बन जायेंगे। जब बाईस करोड़ हिन्दू इस राक्षसी अन्धविश्वासके शिकार हैं तो हिन्दुओंसे अलग रहकर मुसलमानों के लिए प्रगति करना असम्भव है। इसलिए आप, श्रीरंगम् के लोगों से अनुरोध करता हूँ कि आप अस्पृश्यता के विचारको दूर भगाइए। आपके नगरमें जो बहुतसे भव्य मन्दिर हैं, वे आपको बराबर अपने कर्त्तव्यका स्मरण दिलाते रहेंगे।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, २२-९-१९२१
  1. यह मानपत्र श्रीरंगम्की नगरपालिकाने भेंट किया था|