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संगठनों, पूजाकी विधियों और पोप-पादरी व्यवस्थाकी चिन्ता करनेकी कोई जरूरत नहीं है। फैरिसियोंके पास यह सब तो था ही, किन्तु ईसा मसीहको उनमें से कुछ नहीं चाहिए था, क्योंकि फैरिसी लोग अपने धर्म-पदका प्रयोग पाखण्ड और उससे भी बुरी चीजपर परदा डालने के लिए कर रहे थे। अच्छाईकी शक्तियोंके साथ सहयोग और बुराईकी शक्तियोंके साथ असहयोग, अच्छे और पवित्र जीवनके लिए इन्हीं दो चीजोंकी आवश्यकता है -- फिर चाहे आप उस जीवनको हिन्दू जीवन-पद्धति कहिए अथवा मुसलमान जीवन-पद्धति या कि ईसाई जीवन-पद्धति।

क्या करें ?

एक अग्रलेखमें[१] मैंने मौलाना मुहम्मद अलीकी गिरफ्तारी के बारेमें काफी विस्तारसे लिखा है। उसमें मैंने केवल उन्हीं बातोंका उल्लेख किया है जो इस सालके भीतर स्वराज्य पानेके लिए सर्वथा अनिवार्य हैं। लेकिन बहुत-सी दूसरी बातें भी हैं जिन्हें करके हम और जल्दी स्वराज्य प्राप्त कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए खिताबयाफ्ता लोग अपने खिताब छोड़ सकते हैं, वकील वकालत बन्द कर सकते हैं, और बड़े तथा समझदार विद्यार्थी स्कूल-कालेज छोड़कर चरखा चलाना शुरू कर सकते हैं, तथा कौंसिलोंके सदस्य अपनी सदस्यता छोड़ सकते हैं।

यह धर्म और अधर्मकी लड़ाई है। इसलिए हमसे शराब, जुआ और असंमयसे दूर रहनेकी अपेक्षा की जाती है। अस्पृश्यता शैतानका काम है। हमें उसका त्याग करना चाहिए। फिर तो हमें अक्तूबर महीना समाप्त होनेसे भी पहले स्वराज्य मिल जायेगा। मुहम्मद अलीकी गिरफ्तारीको मैं ईश्वरका वरदान मानता हूँ। हमें इसका अधिकसे-अधिक लाभ उठाना चाहिए।

क्या नहीं करें ?

और जैसे यह सब काम हममें से प्रत्येक कर सकता है और प्रत्येकको करना चाहिए, वैसे ही कुछ ऐसे काम हैं जो हमें कदापि नहीं करने चाहिए। हमें हड़ताल नहीं करनी चाहिए, सार्वजनिक भवनोंमें आग नहीं लगानी चाहिए, किसीको मारना नहीं चाहिए, किसीको अपशब्द नहीं कहना चाहिए, हमें आपस में झगड़ना नहीं चाहिए, अपनेसे भिन्न दृष्टिकोण रखनेवालोंके प्रति असहिष्णुतासे काम नहीं लेना चाहिए। धर्ममें जर्बदस्ती के लिए कोई जगह नहीं है और जबरन धर्म-परिवर्तन जिस प्रकार इस्लामके लिए ठीक नहीं है उतना ही असहयोगके मामलेमें भी ठीक नहीं है। हमें किसी बातसे, किसी व्यक्तिसे डरना नहीं चाहिए -- डरना चाहिए सिर्फ अपनी कमजोरीसे।

मेरा साक्ष्य

मित्रगण मुझसे पूछ रहे हैं कि वाइसराय महोदयने जो मौलाना मुहम्मद अलीकी गिरफ्तारीका मौन समर्थन किया है, उसे क्या मैं विश्वासघात नहीं मानता। मैं लॉर्ड रीडिंगपर विश्वासघातका आरोप नहीं लगा सकता, क्योंकि मुकदमा उठा लेनेका उनका

  1. देखिए “आखिरी काम ", २२-९-१९२१।