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टिप्पणियाँ

इन मित्र महाशयकी दूसरी शंकासे चित्त चिन्तित हो जाता है। यह सच है कि इस धार्मिक युद्धमें अगर पाखण्ड अपनी जड़ जमा ले तो धर्म कलंकित होगा और जनताकी भी हानि होगी। अगर ऐसा हुआ तो फिर लोग या तो धर्मके नामसे कोसों दूर भागेंगे या धर्मान्धताको ही धर्म मानकर बैठ रहेंगे।

मैं यह जरूर मानता हूँ कि इस आन्दोलनमें बहुतेरा पाखण्ड घुस गया होगा। मैं यह भी जानता हूँ कि कुछ पाखण्डी लोग असहयोगके नामपर अपना स्वार्थ साधने के लिए निकल पड़े हैं, पर फिर भी मेरा यह विश्वास है कि इस आन्दोलनमें पाखण्डने प्रधान पद ग्रहण नहीं किया है। अगर पाखण्ड प्रधान पद ले ले तो हमारी स्थिति आजसे भी अधिक खराब हो जायेगी क्योंकि उससे हमारी भीरुताको पोषण मिलेगा। जहाँ डर है वहीं दम्भके लिए गुंजाइश है। पापकी जोखिम उठानेसे डरनेवाला पापी पुण्यवानका वेश बनाकर रहता है और दूना पाप कमाता है। अपनी नास्तिकताको छिपाने के लिए, अपना पेट पालने के लिए लम्बा तिलक लगाता है और उतना चन्दन नष्ट करता है; इतना ही नहीं, पापमें और भी वृद्धि करता है। ऐसे लोग इस आन्दोलनमें प्रवेश न कर सकें इसके लिए एक मनुष्य जितने प्रयत्न कर सकता है, उतने मैं समझता हूँ, किये गये हैं; और इसीलिए मैंने अपनी आखिरी स्वतन्त्रता कायम रख छोड़ी है। जब मैं देखूंगा कि अरे, अब तो चारों और ढोंग-ही-ढोंग है : तभी मैं इस आन्दोलनसे जी छोड़कर भाग निकलूंगा, क्योंकि पाखण्डी मनुष्य असहयोगी नहीं होता और मैं तो असहयोगियोंका दास हूँ।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, २-१०-१९२१

१०४. टिप्पणियाँ

मद्रासी

मुझे अपनी मद्रासकी यात्रा से कुछ निराशा-सी हुई है। मुझे मद्रासियोंसे बहुत प्रेम है। मुझे दक्षिण आफ्रिकामें उनका जो मीठा अनुभव हुआ उसको मैं भुला नहीं सकता। उनमें मुझे कष्ट सहनका सामर्थ्य बहुत दिखाई दिया। किन्तु स्वदेशीके प्रचार में मद्रास पिछड़ गया है। मुझे मद्रासकी स्त्रियोंमें स्वदेशीका प्रचार बहुत कम दिखाई दिया। फिर भी यदि मद्रास के लोग जाग जायें तो बहुत-कुछ कर सकते हैं। मद्रास की स्त्रियाँ बहुत क्रियाशील हैं; इस बातमें गुजरातकी स्त्रियाँ उनकी बराबरी नहीं कर सकती। मद्रासकी स्त्रियोंमें समझदारी बहुत है। उनमें जो कला है वह भारतकी अन्य स्त्रियोंमें नहीं है। वहाँकी स्त्रियोंमें एक निकम्मी वस्तुको भी उपयोगी बना लेनेकी क्षमता है।

मद्रासमें कार्यकर्ता नहीं हैं, ऐसा भी नहीं है। वहाँ श्री राजगोपालाचार्य-जैसे बुद्धिमान, प्रामाणिक और चतुर कार्यकर्त्ता मौजूद हैं; उनके जैसे कार्यकर्त्ता हम लोगों में

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